Stories in Hindi : नरक से स्वर्ग की ओर: एक साध्वी की प्रेरणादायक यात्रा
दोस्तों,
एक समय की बात है, एक प्रसिद्ध साध्वी थी। वह जवानी में बहुत खूबसूरत थी। एक बार चोर उसे उठा ले गए और एक वेश्या के कोठे पर बेच दिया। वहाँ उसे वही काम करना था जो बाकी औरतें करती थीं। पहली रात को उसके पास एक आदमी लाया गया। उसने तुरन्त बातचीत शुरू की।
“आप जैसे भले आदमी को देखकर मेरा दिल बहुत खुश है,” वह बोली। “आप सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ जाइए, मैं थोड़ी देर परमात्मा की याद में बैठती हूँ। अगर आप चाहें तो आप भी परमात्मा की याद में बैठ सकते हैं।”
यह सुनकर उस नौजवान को बहुत हैरानी हुई। वह भी उस औरत के साथ धरती पर बैठ गया। फिर वह उठी और बोली, “मुझे विश्वास है कि अगर मैं आपको याद दिला दूँ कि एक दिन हम सबको मरना है, तो आप बुरा नहीं मानेंगे। आप यह भी समझ लें कि जो पाप करने का आपके मन में चाह है, वह आपको नर्क की आग में धकेल देगा। अब आप स्वयं फैसला करें कि आप यह पाप करके नर्क की आग में कूदना चाहते हैं या इससे बचना चाहते हैं?”
यह सुनकर नौजवान हक्का-बक्का रह गया। उसने संभलकर कहा, “ऐ पवित्र औरत, तुमने मेरी आँखें खोल दीं। मैं वचन देता हूँ कि फिर कभी कोठे की तरफ कदम नहीं बढ़ाऊंगा।”
हर रोज नए आदमी उस औरत के पास भेजे जाते। पहले दिन आए नौजवान की तरह उनकी भी जिंदगी बदल जाती। उस कोठे के मालिक को हैरानी हुई कि इतनी खूबसूरत औरत है और एक बार आया ग्राहक दोबारा उसके पास क्यों नहीं आता। यह जानने के लिए उसने एक रात अपनी पत्नी को छुपा दिया, ताकि वह उस औरत के कमरे के अंदर सब कुछ देख सके।
उस रात उसने देखा कि जैसे ही ग्राहक ने अंदर कदम रखा, औरत उठकर खड़ी हो गई और बोली, “आओ भले आदमी, आपका स्वागत है। पाप के इस घर में मुझे हमेशा याद रहता है कि परमात्मा हर जगह मौजूद है। वह सब कुछ देखता है और जो चाहे कर सकता है। आपका इस बारे में क्या ख्याल है?”
यह सुनकर वह आदमी हक्का-बक्का रह गया और उसे कुछ समझ नहीं आया कि क्या करे। आखिर उसने हिचकिचाते हुए कहा, “हाँ, पंडित और मौलवी भी ऐसा ही कहते हैं।”
वह कहती चली गई, “यहाँ पाप से घिरे इस घर में, मैं कभी नहीं भूलती कि परमात्मा सब पाप देखता है और पूरा न्याय करता है। वह हर इंसान को उसके पापों की सजा देता है। जो लोग यहाँ आकर पाप करते हैं, वे अनगिनत दुःख और मुसीबतें झेलते हैं। मेरे भाई, हमें मनुष्य जन्म मिला है, भजन, बंदगी करने के लिए, निस्वार्थ समाज सेवा करने के लिए, दुनिया के दुखों से छुटकारा पाने के लिए, परमात्मा से मुलाकात करने के लिए, न कि जानवरों से भी बदतर बनकर इसे बर्बाद करने के लिए।”
पहले आए लोगों की तरह इस आदमी को भी उस औरत की बातों में छुपी सच्चाई का अहसास हो गया। उसे जिंदगी में पहली बार महसूस हुआ कि वह कितने घोर पाप करता रहा है और आज फिर करने जा रहा था। वह फूट-फूट कर रोने लगा और औरत के पाँव पर गिरकर क्षमा माँगने लगा।
औरत के शब्द इतने सहज, निष्कपट और दिल को छू लेने वाले थे कि उस कोठे के मालिक की पत्नी भी बाहर आकर अपने पापों का पश्चाताप करने लगी। फिर उसने कहा, “ऐ पवित्र लड़की, तुम सच में साधु हो। हमने कितना बड़ा पाप तुम पर लादना चाहा। इसी वक्त इस पाप की दलदल से बाहर निकल जाओ।”
इस घटना ने उसकी अपनी जिंदगी को भी एक नया मोड़ दे दिया और उसने पाप की कमाई हमेशा के लिए छोड़ दी।
शिक्षा: ईश्वर के सच्चे भक्त जहाँ कहीं भी हों, जिस हालात में हों, वे हमेशा मनुष्य जन्म के असली उद्देश्य की ओर इशारा करते हैं और भूले-भटके जीवों को नेकी की राह पर चलने की प्रेरणा देते हैं। यह औरत कोई और नहीं, महान साधु राबिया बसरी थीं। इसलिए हमें हमेशा माया के लोभ से बचना चाहिए और थोड़ा समय भगवान की आराधना में जरूर लगाना चाहिए।