Mahamrityunjay Mantra: महामृत्युंजय मंत्र का जप करने के ये 5 बड़े चमत्कारी फायदे।
महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjay Mantra) भगवान शिव को प्रसन्न करने का एक विशेष मंत्र है। यह मंत्र ऋग्वेद और यजुर्वेद में भगवान शिव की स्तुति में लिखा गया है। इस मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए। जिससे सभी प्रकार की परेशानियां और बीमारियां दूर हो जाती हैं। साथ ही अकाल मृत्यु का भय भी दूर हो जाता है। शिवपुराण के अनुसार इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति की सभी बाधाएं और परेशानियां दूर हो जाती हैं।
महामृत्युंजय मंत्र समस्त दोषों का नाश करता है। महामृत्युंजय मंत्र के जाप से मांगलिक दोष, नाड़ी दोष, कालसर्प दोष, प्रेत दोष, रोग, दुःस्वप्न, गर्भपात, बांझपन आदि अनेक दोष नष्ट हो जाते हैं।
Mahamrityunjay Mantra का जाप करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
1. दीर्घायु (लंबा जीवन) – जो भी व्यक्ति लंबी उम्र जीना चाहता है उसे नियमित रूप से महामृत्युजंय मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र के प्रभाव से मनुष्य का अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है। यह मंत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, इसका जाप करने वाले को लंबी आयु मिलती है।
2. आरोग्य- यह मंत्र न केवल व्यक्ति को निर्भय बनाता है बल्कि उसके रोगों का भी नाश करता है। भगवान शिव को मृत्यु का देवता भी कहा जाता है। इस मंत्र के जाप से रोगों का नाश होता है और मनुष्य स्वस्थ हो जाता है।
3. धन प्राप्ति – जिस भी व्यक्ति को धन प्राप्ति की इच्छा हो उसे महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र का जाप करने से भगवान शिव सदैव प्रसन्न रहते हैं और मनुष्य को कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है।
4. यश (सम्मान) की प्राप्ति – इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को समाज में उच्च स्थान प्राप्त होता है। मान-सम्मान चाहने वाले व्यक्ति को प्रतिदिन महामृत्युजंय मंत्र का जाप करना चाहिए।
5. संतान प्राप्ति – महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है और हर मनोकामना पूरी होती है। इस मंत्र का प्रतिदिन जाप करने से संतान की प्राप्ति होती है।
🔹महामृत्युंजय मंत्र जप में जरूरी है🔹
~~कुछ सावधानियाँ~~~
Mahamrityunjay Mantra का जाप अत्यंत फलदायी होता है, लेकिन इस मंत्र का जाप करते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि इसका पूरा लाभ मिल सके और किसी भी प्रकार के नुकसान की संभावना न रहे। इसलिए जप करने से पहले निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
1. जिस भी मंत्र का जाप करना हो उसे सही उच्चारण के साथ जाप करें।
2. निश्चित संख्या में जप करें। पिछले दिन जपें मंत्रों से अगले दिनों में कम मंत्र जप न करें। आप चाहें तो और भी जाप कर सकते हैं.
3. मंत्र का उच्चारण होठों से बाहर नहीं आना चाहिए। यदि अभ्यास न हो तो धीमी आवाज में जप करें।
4. जप काल के दौरान धूप-दीप जलाते रहना चाहिए।
5. जाप रुद्राक्ष की माला पर ही करें।
6. माला को गौमुखी में रखें। जब तक जप की संख्या पूरी न हो जाए तब तक माला को गौमुखी से बाहर न निकालें।
7. जप काल के दौरान भगवान शिव की मूर्ति, तस्वीर, शिवलिंग या महामृत्युंजय यंत्र पास में रखना अनिवार्य है।
8. महामृत्युंजय के सभी जाप कुशा के आसन पर बैठकर करें।
9. जप काल के दौरान दूध मिश्रित जल से भगवान शिव का अभिषेक करते रहें या उसे शिवलिंग पर चढ़ाते रहें।
10. महामृत्युंजय मंत्र के सभी प्रयोग पूर्व दिशा की ओर मुख करके ही करें।
11. आने वाले दिनों में भी जप उसी स्थान पर करना चाहिए जहां से जपादि प्रारंभ होता है।
12. जप के दौरान ध्यान पूरी तरह से मंत्र पर ही रहना चाहिए, मन को इधर-उधर भटकने न दें।
13. जप के समय आलस्य तथा उबासी न आने दें।
14. मिथ्या मत बोलो.
15. जप के समय स्त्री का सेवन न करें।
16. जप के दौरान मांसाहार का त्याग करें।
हर हर महादेव, जय महाकाल, जय गोविंदा
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