Baba Ramdev News:हर साल सावन मास के पवित्र अवसर पर कांवड़ यात्रा का आयोजन पूरे उत्तर भारत में बड़े धूमधाम से किया जाता है। लाखों श्रद्धालु गंगाजल लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। लेकिन इसी धार्मिक माहौल में कुछ विवाद भी सामने आते हैं, जिनमें सबसे बड़ा मुद्दा बनता है —होटल और ढाबों द्वारा नाम बदलने की प्रवृत्ति।
इसी विषय पर योग गुरुस्वामी रामदेव (Baba Ramdev)ने स्पष्ट और बेबाक टिप्पणी करते हुए कहा है,“जैसे हमें हिंदू होने पर गर्व है, वैसे ही सभी मुसलमानों को भी अपने धर्म पर गर्व करना चाहिए। नाम छुपाकर या बदलकर व्यापार करना ना धार्मिक दृष्टि से सही है, ना ही व्यवहारिक दृष्टि से।”
नाम बदलकर ढाबा या होटल चलाना — क्यों बना यह विवाद का कारण?
हर साल कांवड़ यात्रा के दौरान कुछ स्थानों पर यह देखा गया है कि कई होटल या ढाबा संचालक — विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोग — अपने प्रतिष्ठानों के नाम बदलकर उन्हें ‘पंडित जी ढाबा’, ‘वैष्णो भोजनालय’ जैसे हिंदू नामों में बदल देते हैं। इसका उद्देश्य ज़्यादातर यात्रियों को आकर्षित करना होता है जो धार्मिक पहचान को प्राथमिकता देते हैं।
रामदेव ने इस परहरिद्वारमें प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
“हमें हिंदू होने पर गर्व है। उसी तरह हर मुसलमान को भी अपने धर्म और पहचान पर गर्व होना चाहिए। अपने नाम और पहचान को बदलना न केवल ग़लत है, बल्कि इससे एक तरह की धार्मिक असुरक्षा की भावना झलकती है।”
“सभी मुसलमानों के पूर्वज हिंदू थे” – Baba Ramdev का ऐतिहासिक संदर्भ
बाबा रामदेव ने एक बड़ा सामाजिक और ऐतिहासिक दावा करते हुए कहा:
“सभी मुसलमानों के पूर्वज हिंदू थे, इसलिए अपने नाम बदलने का कोई औचित्य नहीं है।”
उनका कहना था कि यदि व्यापार में विश्वास और गुणवत्ता है तो ग्राहक अपने-आप आएंगे। नाम छिपाना या बदलना ग्राहकों के साथ धोखा है और इससे धार्मिक विश्वास को ठेस पहुंचती है।
व्यवहारिक और धार्मिक रूप से ग़लत है नाम बदलकर व्यापार करना
रामदेव का कहना था:
“अगर लोगों की मर्जी होगी तो वे होटल पर आकर खाना खाएंगे। लेकिन नाम बदलकर व्यापार करना धार्मिक और व्यवहारिक दोनों रूपों में ग़लत है।”
उन्होंने ये भी जोड़ा किधर्म व्यापार का साधन नहीं होना चाहिए, और न ही विश्वास का खेल खेला जाना चाहिए। ईमानदारी ही व्यापार की सबसे बड़ी पूंजी होती है।
मुजफ्फरनगर में होटल विवाद ने बवाल खड़ा कर दिया
हाल ही में उत्तर प्रदेश केमुजफ्फरनगरजिले के दिल्ली-देहरादून कांवड़ मार्ग पर एक ढाबे ‘पंडित जी वैष्णो ढाबा’ को लेकर बड़ा विवाद हुआ। जानकारी के अनुसार, जैसे ही यह बात सामने आई कि ढाबा वास्तव में एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा संचालित था, स्थानीय लोगों में विरोध शुरू हो गया।
स्थिति इतनी बिगड़ गई कि ढाबे के मालिक ने ढाबा बंद करना पड़ा।पुलिस ने इस मामले में 5 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की और कार्रवाई शुरू की।
ढाबे के पूर्व मैनेजर की पिटाई — पुलिस का केस दर्ज
इस केस में एक और गंभीर घटना सामने आई। पुलिस के अनुसार, ढाबे के पूर्व मैनेजरधर्मेंद्रकी पिटाई सिर्फ इसलिए की गई क्योंकि उसने असली मालिक की पहचान उजागर की थी।
नई मंडी थाने के एसएचओ दिनेश चंद्रके अनुसार, ढाबादीक्षा शर्माके नाम पर रजिस्टर्ड है, लेकिन संचालनसनावरनामक व्यक्ति कर रहा था। धर्मेंद्र ने जब यह जानकारी लोगों को दी, तो उसकी पिटाई कर दी गई। पुलिस ने दीक्षा शर्मा, सनावर और अन्य 3 के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है।
मराठी VS हिंदी विवाद पर भी बोले Baba Ramdev
स्वामी रामदेवने महाराष्ट्र में चल रहे मराठी बनाम हिंदी भाषा विवाद पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा:
“देश की सभी भाषाओं का समान रूप से सम्मान होना चाहिए। लेकिन भाषा, जाति या धर्म के नाम पर हिंदुओं को आपस में लड़ाना सनातन धर्म और राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाने वाला है।”
उन्होंने सबको एकता बनाए रखने की सलाह दी और यह भी कहा कि विविधता ही भारत की सबसे बड़ी शक्ति है।
Baba Ramdevकी टिप्पणी केवल एक धर्म विशेष के खिलाफ नहीं थी, बल्कि समाज के लिए एक बड़ा संदेश थी —“धर्म, नाम और पहचान छुपाकर या बदलकर व्यापार करना ईमानदारी नहीं है।”
भारत की विविधता में एकता को बनाए रखने के लिए सभी को अपने-अपने धर्म, भाषा और पहचान पर गर्व करना चाहिए — बिना किसी छल या दिखावे के।
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