चांदीपुरा वायरस (Chandipura Virus) का प्रकोप: कैसे फैलता है और क्या हैं इसके लक्षण और उपचार?

Chandipura virus
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चांदीपुरा वायरस (Chandipura Virus) का प्रकोप: कैसे फैलता है और क्या हैं इसके लक्षण और उपचार?

कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

  • चांदिपुरा वायरस का नाम महाराष्ट्र के चांदिपुर गाँव के नाम पर रखा गया है।
  • यह वायरस मक्खी के माध्यम से फैलता है।
  • बच्चों में इसका संक्रमण ज्यादा होता है।
  • इसका कोई खास इलाज नहीं है, सिर्फ लक्षणों का इलाज किया जाता है।
  • मक्खी से बचाव इसके रोकथाम का सबसे महत्वपूर्ण उपाय है।

Chandipura virus Hindi: देश में चांदीपुरा वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इस वायरस की वजह से कई बच्चों की मौत हो चुकी है। पहले गुजरात में इसके केस सामने आए थे, लेकिन अब यह कई अन्य राज्यों में भी फैल रहा है। यह वायरस फेफड़ों से होकर सीधे दिमाग में पहुंच जाता है और इससे मौत हो सकती है।

देश के चार राज्यों में चांदीपुरा वायरस से मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी पुणे) को अलर्ट पर रखा गया है। इस बीमारी में मृत्यु दर 50 प्रतिशत तक है। एम्स नई दिल्ली के बच्चों के रोग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. एम वाजपेयी ने बताया कि गुजरात के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा स्क्रीनिंग और अन्य उपाय किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह वायरस बहुत तेजी से दिमाग में फैल जाता है और इसका ट्रांसमिशन फ्लूड से भी होता है। इसके टीके पर काम चल रहा है, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है।

गुजरात में अपने पांव पसारने के बाद चांदीपुरा वायरस ने महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्यप्रदेश के बच्चों को भी अपने चपेट में ले लिया है। सभी बच्चों के खून के सैंपल पुणे के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) भेजे गए हैं। गुजरात के सबरकांठा, अरवल्ली, महिसागर और राजकोट में इसके मामले सामने आए हैं। गुजरात के स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा है कि जहां चांदीपुरा वायरस के फैलाव सामने आए हैं, वहां अब तक 8600 लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। पूरे इलाके को 26 जोन में बांटा गया है।

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बच्चा जल्दी कोमा में चला जाता है

डॉ. एम वाजपेयी ने बताया कि जब चांदीपुरा वायरस का संक्रमण होता है, तो यह लंग्स के माध्यम से सीधे दिमाग में पहुंच जाता है। यह रोगज़नक़ रैबडोविरिडे परिवार के वेसिकुलोवायरस जीनस का सदस्य है। यह मच्छरों, टिक्स और सैंडफ्लाईज जैसे वैक्टर से फैलता है। बच्चों में आमतौर पर फ्लू के लक्षण होते हैं, जैसे उल्टी आना, डायरिया, बदन दर्द। इससे बच्चा जल्दी कोमा में चला जाता है, दिमाग में सूजन हो जाती है और फिर बच्चे की मौत हो जाती है।

चांदीपुरा वायरस के फैलाव वाले जिलों में सर्विलांस

सूत्रों के अनुसार, गुजरात के जिन इलाकों में इस वायरस के संक्रमण की सूचना मिल रही है, वहां तेजी से सर्विलांस बढ़ा दिया गया है। सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से एडवाइजरी भी जारी की जा रही है। इन इलाकों में यदि कोई संदिग्ध मरीज आता है, तो उसे प्राथमिकता के आधार पर ट्रीट करने के निर्देश दिए जा रहे हैं।

कब हुई थी इस वायरस की पहचान?

साल 1965 में पहली बार महाराष्ट्र के नागपुर के चांदीपुरा में इस वायरस की पहचान हुई थी, इसलिए इसका नाम चांदीपुरा वायरस पड़ा। इसके बाद इस वायरस को साल 2004 से 2006 और 2019 में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में रिपोर्ट किया गया। इस दौरान मृत्यु दर 56 से 75 प्रतिशत तक थी। चांदीपुरा वायरस एक RNA वायरस है, जो सबसे ज्यादा मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी से फैलता है।

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लक्षण क्या हैं?

चांदिपुरा वायरस के लक्षण जल्दी दिखने लगते हैं, जैसे:

  • तेज बुखार
  • उल्टी और मितली
  • सिरदर्द
  • कमजोरी
  • चक्कर आना
  • मांसपेशियों में दर्द

कुछ गंभीर मामलों में, यह वायरस दिमाग की सूजन (एन्सेफेलाइटिस) का कारण बन सकता है।

बचाव कैसे करें?

चांदिपुरा वायरस से बचाव के लिए मच्छरों से बचना सबसे जरूरी है। इसके लिए:

  • मच्छरदानी का इस्तेमाल करें
  • मच्छर, मक्खी भगाने वाले लोशन और क्रीम लगाएं
  • घर के आसपास पानी जमा न होने दें
  • साफ-सफाई का ध्यान रखें
  • बच्चों को पूरे आस्तीन के कपड़े पहनाएं

इलाज क्या है?

चांदिपुरा वायरस का कोई खास इलाज नहीं है। इसके लक्षणों को कम करने के लिए इलाज किया जाता है, जैसे:

  • बुखार कम करने की दवाएं
  • उल्टी और मितली रोकने की दवाएं
  • शरीर में पानी की कमी को पूरा करना
  • मांसपेशियों के दर्द के लिए दवाएं

गंभीर मामलों में मरीजों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ता है।

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