Chandrayaan 3 India Moon Mission Live- चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग

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Chandrayaan 3 India Moon Mission Live Updates – चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग

ISRO Chandrayaan-3 Moon Mission Launch Live Updates: अब तक सिर्फ रूस, अमेरिका और चीन जैसे देशों ने ही चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की है लेकिन कोई भी दक्षिणी ध्रुव के करीब नहीं जा पाया।

Chandrayaan-3 Launch LIVE Updates : चंद्रयान-3 आज लॉन्च हो गया, लेकिन इसे चांद तक पहुंचने में महीनेभर से ज्यादा का समय लगेगा. 23 या 24 अगस्त को ये चांद की सतह पर लैंड कर सकता है. हालांकि, ये तारीख आगे-पीछे भी हो सकती है. चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को लॉन्च किया गया था, लेकिन 6-7 सितंबर को विक्रम लैंडर की क्रैश लैंडिंग हो गई थी.

भारत के चंद्र मिशन चंद्रयान-3 का लॉन्चिंग हो चुकी है। चंद्रयान-3 आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रमा की यात्रा पर रवाना हो गया है। भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन में भी वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का है। ‘चंद्रयान-2’ मिशन के दौरान अंतिम क्षणों में लैंडर ‘विक्रम’ ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल नहीं हुआ था। अगर इस बार इस मिशन में सफलता मिलती है तो भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर चुके अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों की सूची में शामिल हो जाएगा।

5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में जाएगा चंद्रयान-3

इसके बाद चंद्रयान-3 ट्रांस लूनर इंसरशन (TLI) कमांड दिए जाएंगे. फिर चंद्रयान-3 सोलर ऑर्बिट यानी लंबे हाइवे पर यात्रा करेगा. 31 जुलाई तक TLI को पूरा कर लिया जाएगा. इसके बाद चंद्रमा करीब साढ़े पांच दिनों तक चंद्रमा की ओर यात्रा करेगा. चंद्रमा की बाहरी कक्षा में वह पांच अगस्त के आसपास प्रवेश करेगा. यह गणनाएं तभी सही रहेंगी, जब सबकुछ सामान्य स्थिति में होगा. कोई तकनीकी गड़बड़ी होने पर इसमें समय बढ़ सकता है.

23 अगस्त को गति होगी धीमी, लैंडिंग होगी शुरू

चंद्रयान-3 चंद्रमा की 100X100 किलोमीटर की कक्षा में जाएगा. इसके बाद विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाएंगे. उन्हें 100 किलोमीटर X 30 किलोमीटर की अंडाकार कक्षा में लाया जाएगा. 23 अगस्त को डीबूस्ट यानी गति धीमी करने का कमांड दिया जाएगा. इसके बाद चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर उतरना शुरू करेगा.

श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से चंद्रयान-3 को लेकर अंतरिक्ष की ओर जाता LVM3-M4 रॉकेट. (सभी फोटोः ISRO)

लैंडर की ताकत, इंजन और लैंडिंग साइट का एरिया बढ़ाया गया

इस बार विक्रम लैंडर में के चारों पैरों की ताकत को बढ़ाया गया है. नए सेंसर्स लगाए गए हैं. नया सोलर पैनल लगाया गया है. पिछली बार चंद्रयान-2 की लैंडिंग साइट का क्षेत्रफल 500 मीटर X 500 मीटर चुना गया था. इसरो विक्रम लैंडर को मध्य में उतारना चाहता था. जिसकी वजह से कुछ सीमाएं थीं. इस बार लैंडिंग का क्षेत्रफल 4 किलोमीटर x 2.5 किलोमीटर रखा गया है. यानी इतने बड़े इलाके में चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर उतर सकता है.

खुद लैंडिंग की जगह चुनेगा, सभी खतरों को खुद भापेगा

लैंडिंग के लिए सही जगह का चुनाव वह खुद करेगा. इस बार कोशिश रहेगी कि विक्रम लैंडर इतने बड़े इलाके में अपने आप सफलतापूर्वक उतर जाए. इससे उसे ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी मिलती है. इस लैंडिग पर नजर रखने के लिए चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अपने कैमरे तैनात रखेगा. साथ ही उसने ही इस बार की लैंडिंग साइट खोजने में मदद की है.

विक्रम लैंडर 96 मिलिसेकेंड्स में सुधारेगा गलतियां

विक्रम लैंडर के इंजन पिछली बार से ज्यादा ताकतवर हैं. पिछली बार जो गलतियां हुईं थी, उसमें सबसे बड़ी वजहों में से एक था कैमरा. जो आखिरी चरण में एक्टिव हुआ था. इसलिए इस बार उसे भी सुधारा गया है. इस दौरान विक्रम लैंडर के सेंसर्स गलतियां कम से कम करेंगे. उन्हें तत्काल सुधारेंगे. इन गलतियों को सुधारने के लिए विक्रम के पास 96 मिलिसेकेंड का समय होगा. इसलिए इस बार विक्रम लैंडर में ज्यादा ट्रैकिंग, टेलिमेट्री और कमांड एंटीना लगाए गए हैं. यानी गलती की संभावना न के बराबर है.

भारत का तीसरा मून मिशन ‘चंद्रयान-3’ (Chandrayaan-3) शुक्रवार को लॉन्च हो गया. इसे दोपहर 2:35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से छोड़ा गया. 615 करोड़ की लागत से तैयार हुआ ये मिशन करीब 42 दिन की यात्रा के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंड करेगा. ‘चंद्रयान-3’ को भेजने के लिए LVM-3 लॉन्चर का इस्तेमाल किया गया. इसे पहले GSLV MK-III के नाम से जाना जाता था. इसी रॉकेट से स्पेस एजेंसी इसरो ने चंद्रयान-2 को लॉन्च किया था.

PM Modi On Chandrayaan 3 Launch

इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुशी जताई और इसे स्पेस की दुनिया में नया अध्याय बताया. पीएम मोदी ने कहा, ”चंद्रयान-3 ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय लिखा. यह हर भारतीय के सपनों और महत्वाकांक्षाओं को ऊपर उठाते हुए ऊंची उड़ान भरता है. यह महत्वपूर्ण उपलब्धि हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है. मैं उनकी भावना और प्रतिभा को सलाम करता हूँ!”

एलवीएम3एम4 रॉकेट शुक्रवार को इसरो के महत्वाकांक्षी ‘चंद्रयान-3’ को पृथ्वी के इकलौते उपग्रह चंद्रमा की यात्रा पर ले गया. इस रॉकेट को पूर्व में जीएसएलवीएमके3 कहा जाता था. भारी उपकरण ले जाने की इसकी क्षमता के कारण अंतरिक्ष वैज्ञानिक इसे ‘फैट बॉय’ भी कहते हैं. सबकुछ ठीक रहा तो यह अगस्त के आखिर में चंद्रमा पर उतरेगा.

Posted by TalkAaj.com

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