डिजिटल रेप क्या है? जानें इसकी परिभाषा, कानून और सज़ा | Digital Rape Explained in Hindi
❗ Digital Rape: नाम से भ्रमित न हों, ये अपराध इंटरनेट से नहीं, शरीर से जुड़ा है
भारत में डिजिटल रेप के मामलों में इज़ाफा हो रहा है, लेकिन आज भी बहुत से लोग इस अपराध के बारे में पूरी जानकारी नहीं रखते। विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में, इस शब्द को सुनते ही लोग सोचते हैं कि शायद इसका संबंध इंटरनेट या डिजिटल तकनीक से है, लेकिन असलियत इससे बिल्कुल अलग है।
यह अपराध बेहद संवेदनशील है, और इसका असर शारीरिक के साथ-साथ मानसिक तौर पर भी गहरा होता है।
🔍 डिजिटल रेप क्या होता है? (What is Digital Rape)
डिजिटल रेप का मतलब है — बिना सहमति के किसी व्यक्ति के प्राइवेट अंगों में उंगलियों (fingers) या किसी वस्तु (object) का प्रवेश कराना। यहां “डिजिटल” शब्द का अर्थ डिजिटल टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि digitus (लैटिन भाषा में उंगली) से लिया गया है।
भारत में इसे एक गंभीर यौन अपराध माना गया है और 2012 के निर्भया केस के बाद इसे भारतीय दंड संहिता (IPC) में बलात्कार की श्रेणी में शामिल किया गया। अब भारत के नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS) में भी इस अपराध को स्पष्ट रूप से शामिल किया गया है।
👉 मुख्य बातें:
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सहमति के बिना शारीरिक प्रवेश = अपराध
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उंगली या वस्तु का उपयोग = बलात्कार की श्रेणी में आता है
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यह अपराध महिला या पुरुष दोनों के साथ हो सकता है
🏥 गुरुग्राम केस: ICU में एयर होस्टेस के साथ हुआ डिजिटल रेप
हाल ही में हरियाणा के गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक एयर होस्टेस, जो ICU में वेंटिलेटर पर थीं, उनके साथ वहां कार्यरत टेक्नीशियन द्वारा डिजिटल रेप किया गया। पीड़िता जब होश में आईं, तब उन्होंने 14 अप्रैल को सदर थाने में शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस ने आरोपी दीपक कुमार को गिरफ्तार कर लिया है, जो बिहार के मुज़फ्फरपुर का रहने वाला है और हाल ही में ऑपरेशन थिएटर टेक्नोलॉजी की पढ़ाई पूरी कर ICU टेक्नीशियन के रूप में मेदांता में नौकरी कर रहा था।
यह मामला दर्शाता है कि अस्पताल जैसी सुरक्षित मानी जाने वाली जगहें भी अब सुरक्षित नहीं रहीं।
⚖️ डिजिटल रेप के लिए कानून क्या कहता है? (Law and Punishment for Digital Rape)
भारत में डिजिटल रेप को अब बलात्कार की श्रेणी में रखा गया है। इसके अंतर्गत जो कानूनी प्रावधान हैं, वे बेहद सख्त हैं।
🔹 IPC के तहत:
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धारा 375-376 के तहत सजा का प्रावधान
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न्यूनतम 7 साल, अधिकतम आजीवन कारावास
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अगर अपराध जघन्य हो या पीड़िता नाबालिग हो, तो सज़ा और सख़्त होती है
🔹 POCSO एक्ट के तहत:
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यदि पीड़िता नाबालिग है, तो मामला POCSO के तहत दर्ज होता है
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इसमें 10 से 20 साल तक की जेल या आजीवन कारावास संभव है
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नाबालिगों की सुरक्षा के लिए विशेष अदालतों का प्रावधान है
🔹 Bharatiya Nyaya Sanhita (BNS) के तहत:
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डिजिटल रेप को बलात्कार की ही श्रेणी में रखा गया है
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बिना सहमति की कोई भी यौन क्रिया अपराध मानी जाती है
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दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की जेल या उम्रकैद संभव
📉 ग्रामीण इलाकों में जागरूकता की भारी कमी
आज भी देश के कई हिस्सों में खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में इस अपराध को लेकर जागरूकता की कमी है। बहुत से पीड़ित या उनके परिवार समाज के डर, बदनामी या अज्ञानता के चलते शिकायत तक दर्ज नहीं करवाते।
विशेषज्ञों का मानना है कि:
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स्कूलों और कॉलेजों में यौन शिक्षा को अनिवार्य किया जाए
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पंचायत स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जाएं
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स्थानीय भाषाओं में सही जानकारी देने वाले कंटेंट तैयार किए जाएं
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एनजीओ, ASHA वर्कर्स, और सरकारी योजनाओं के जरिए जानकारी पहुंचाई जाए
📢 पीड़ितों को सामने आने के लिए कैसे प्रोत्साहित करें
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हेल्पलाइन नंबर और मुफ्त कानूनी सलाह देने वाली वेबसाइटों के लिंक जोड़ें
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अगर आप या आपके जानने वाले किसी ने ऐसा अनुभव किया है, तो चुप न रहें। मदद लें, शिकायत करें।”
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डोमेस्टिक वॉयलेंस, महिला सुरक्षा, और कानूनी अधिकारों से जुड़े दूसरे लेखों की इंटरनल लिंकिंग करें
🙋♀️ FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
Q1. क्या डिजिटल रेप का मतलब इंटरनेट से है?
नहीं। डिजिटल रेप का इंटरनेट या टेक्नोलॉजी से कोई लेना-देना नहीं है। इसमें “डिजिटल” शब्द का मतलब उंगली या वस्तु से है, न कि डिजिटल डिवाइस से।
Q2. डिजिटल रेप की सज़ा क्या है?
भारत में इसे बलात्कार की श्रेणी में रखा गया है और इसके लिए 10 साल की सज़ा से लेकर आजीवन कारावास तक हो सकती है।
Q3. क्या केवल महिलाएं ही इसका शिकार होती हैं?
नहीं, डिजिटल रेप का शिकार पुरुष या ट्रांसजेंडर व्यक्ति भी हो सकते हैं। कानून सभी नागरिकों की रक्षा करता है।
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