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नीतीश कुमार के OBC-EBC दांव से ST आरक्षण दोगुना, SC आरक्षण 16 से बढ़कर 20 फीसदी, जानिए किस जाति वर्ग को कितना फायदा?
बिहार में जाति आधारित जनगणना के बाद आरक्षण में संशोधन किया गया है. गुरुवार को नीतीश सरकार ने विधानसभा के पटल पर आरक्षण संशोधन विधेयक 2023 पेश किया, जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया. विपक्षी बीजेपी ने भी इस बिल का समर्थन किया. माना जा रहा है कि 2024 चुनाव से पहले इंडिया अलायंस के बड़े चेहरे नीतीश कुमार ने ओबीसी-ईबीसी को लुभाने के लिए नई चाल चली है. साथ ही वर्ग को एक संदेश देने की कोशिश की गई है. नीतीश सरकार के इस कदम से एसटी वर्ग को भी फायदा हुआ और इस वर्ग का आरक्षण भी दोगुना हो गया है.
आपको बता दें कि इस बिल के तहत बिहार में आरक्षण का दायरा 60 फीसदी से बढ़कर 75 फीसदी हो गया है. ईडब्ल्यूएस के लिए 65 फीसदी आरक्षण राज्य सरकार और 10 फीसदी आरक्षण केंद्र सरकार लागू करेगी. अब यह बिल विधान परिषद में पेश किया जाएगा. फिर राज्यपाल की मंजूरी मिल जायेगी और यह कानून बन जायेगा. बिहार में जातीय जनगणना के मुताबिक पिछड़ा वर्ग (OBC) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) की कुल आबादी 63.13 फीसदी है. इस वर्ग को अब सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में कुल 43 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा.
‘ST आरक्षण दोगुना हो गया’
अभी तक इन दोनों वर्गों को 30 फीसदी आरक्षण मिल रहा था. सरकार ने आरक्षण में सीधे तौर पर 13 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है. इसी प्रकार अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षण 16 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षण भी दोगुना कर दिया गया है। पहले एसटी वर्ग को एक फीसदी आरक्षण का लाभ मिलता था, अब इसे बढ़ाकर दो फीसदी कर दिया गया है.
‘जाति सर्वेक्षण के बाद लिया गया फैसला’
पिछड़ा वर्ग (BC) को अब 18 फीसदी और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) को 25 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा. पहले ईबीसी वर्ग को 18 फीसदी और बीसी वर्ग को 12 फीसदी आरक्षण मिल रहा था. विधानसभा में बिल पास होने के बाद संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार का बयान आया. उन्होंने कहा, जाति सर्वेक्षण में यह स्पष्ट हो गया कि अवसर और स्थिति में समानता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए पिछड़े वर्ग, एससी और एसटी समाज के एक बड़े वर्ग को बढ़ावा देने की जरूरत है. वर्तमान में सरकारी सेवाओं में इन वर्गों का प्रतिनिधित्व आनुपातिक रूप से कम है। इसलिए, सरकार ने हाशिए पर रहने वाले वर्गों के लिए आरक्षण में संशोधन करने का फैसला किया है। हालांकि, इस बिल में ईडब्ल्यूएस का कोई जिक्र नहीं है. बीजेपी ने सरकार पर सवाल उठाए हैं.
किस जाति को कितना फायदा हुआ? जानिए…
वर्ग | अब कितना आरक्षण | पहले कितना था आरक्षण | कितनी आबादी |
पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग | 43% | 30% | 63.13% |
अनुसूचित जाति वर्ग | 20% | 16% | 19.65% |
अनुसूचित जनजाति वर्ग | 2% | 1% | 1.68% |
आर्थिक रूप से पिछड़ा सामान्य गरीब वर्ग | 10% | 10 % | — |
कुल आरक्षण | 75% |
‘चुनावी तैयारियों के बीच चर्चा में ओबीसी’
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच विपक्षी गठबंधन में शामिल दलों का मुख्य फोकस ओबीसी वर्ग पर है. यही वजह है कि बिहार में जातीय जनगणना के बाद कांग्रेस ने सरकार बनने पर हर चुनावी राज्य में जातीय जनगणना कराने का ऐलान किया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी खुलकर ओबीसी आरक्षण का समर्थन कर रहे हैं. राहुल ने अपनी कई चुनावी सभाओं में ऐलान किया है कि अगरकेंद्र में INDI अलायंस की सरकार बनती है तो सबसे पहले जातीय जनगणना कराएंगे और ओबीसी वर्ग को उसका हक दिलाएंगे.
‘ओबीसी वर्ग को साधने की कोशिश?’
हालांकि, बीजेपी भी लगातार खुद को ओबीसी वर्ग से जोड़ रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद ओबीसी वर्ग से आते हैं. बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस सिर्फ दिखावा कर रही है. यह जमीन पर ओबीसी के लिए काम नहीं करता. इन सब चर्चाओं के बीच बिहार में महागठबंधन सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाकर संदेश देने की कोशिश की है. हालांकि, बीजेपी ने भी ओबीसी-ईबीसी और एससी-एसटी आरक्षण बढ़ाने वाले बिल का समर्थन किया है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने क्या कहा…
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, अब आरक्षण 75 प्रतिशत होगा, जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत भी शामिल है, जिसे केंद्र ने कुछ साल पहले लागू किया था और हमने इसे राज्य में भी लागू किया है। नीतीश ने कहा कि जातीय सर्वेक्षण के बाद आरक्षण का दायरा बढ़ाया गया है. इस सदन में प्रतिनिधित्व करने वाले सभी नौ दलों के बीच आम सहमति बन गई है। सर्वेक्षण के माध्यम से हमें व्यापक डेटा मिला है. हम इसका उपयोग समाज के सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए और अधिक उपाय पेश करने के लिए करेंगे। मुझे खुशी होगी अगर केंद्र देश भर में जाति जनगणना और आरक्षण बढ़ाने पर भी सहमत हो जाए।’
‘बिहार को मिलना चाहिए विशेष राज्य का दर्जा’
नीतीश ने कहा कि हर जाति में गरीब लोग हैं. अगर बात सिर्फ आरक्षण बढ़ाने की होती तो मंडल कमीशन की जरूरत ही नहीं पड़ती. बीजेपी इसका समर्थन करती है. चुनावी राजनीति का खेल नहीं खुलना चाहिए. नीतीश ने एक बार फिर उठाई बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग. उन्होंने कहा, हमारी भूमि प्राचीन काल से ही इतनी पवित्र रही है. हमें अपना खोया हुआ गौरव पुनः प्राप्त करने के लिए कुछ सहायता की आवश्यकता है। विशेष राज्य का दर्जा मिले तो बिहार काफी आगे बढ़ेगा. आओ सब मिलकर चलें.
बिहार में किस धर्म की कितनी आबादी?
धर्म | आबादी | प्रतिशत |
हिन्दू | 107192958 | 81.99% |
इस्लाम | 23149925 | 17.70% |
ईसाई | 75238 | 0.05% |
सिख | 14753 | 0.011% |
बौद्ध | 111201 | 0.0851% |
जैन | 12523 | 0.0096% |
अन्य धर्म | 166566 | 0.1274% |
कोई धर्म नहीं | 2146 | 0.0016% |
किस वर्ग की कितनी आबादी?
वर्ग | आबादी | प्रतिशत% |
पिछड़ा वर्ग | 35463936 | 27.12% |
अत्यंत पिछड़ा वर्ग | 47080514 | 36.0148% |
अनुसूचित जाति | 25689820 | 19.6518% |
अनुसूचित जनजाति | 2199361 | 1.68% |
अनारक्षित | 20291679 | 15.5% |
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