Farah Khan Controversial Statement on Holi: सभी छपरी लड़कों का पसंदीदा त्योहार?
Farah Khan Controversial Statement on Holi Hindi: बॉलीवुड की मशहूर कोरियोग्राफर और फिल्म निर्माता फराह खान ने हाल ही में एक बयान दिया है, जिसने सोशल मीडिया पर बवाल मचा दिया है। उन्होंने होली को “छपरी लड़कों का पसंदीदा त्योहार” कहा, जिससे लोगों में नाराज़गी फैल गई है। आइए, इस विवाद के विभिन्न पहलुओं पर नज़र डालें।
Farah Khan का बयान
फराह खान वर्तमान में सोनी टीवी के शो ‘सेलिब्रिटी मास्टरशेफ’ की मेजबानी कर रही हैं। हाल ही में प्रसारित एक एपिसोड में, उन्होंने कैमरे की ओर देखते हुए कहा, “सारे छपरी लड़कों का फेस्टिवल होली ही होता है, ये बात याद रखना।” इस टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना शुरू हो गई।
“Sare cchapri ladke ka pasandeeda festival Holi hi hota hai”
Disrespecting Hindu festivals has been normalised by celebs like @TheFarahKhan. Instead of Samay, people like her should be put on trial but since she’s a member of bollywood there won’t be any consequences pic.twitter.com/mvLYoqTNa7
— ex. capt (@thephukdi) February 18, 2025
सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
उनके इस बयान के बाद, ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लोगों ने अपनी नाराज़गी जाहिर की। कई यूजर्स ने फराह खान पर हिंदू त्योहारों का अपमान करने का आरोप लगाया। एक ट्विटर यूजर ने लिखा, “सेलिब्रिटीज़ के लिए हिंदुओं के त्योहारों का मज़ाक बनाना आम बात हो गई है।”
केआरके की प्रतिक्रिया
स्वघोषित फिल्म समीक्षक कमाल राशिद खान (केआरके) ने भी इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने फराह खान का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “फराह खान ने उन लड़कों को छपरी कहा है, जो होली मनाते हैं।” इसके बाद, यूजर्स ने शाहरुख खान का भी ज़िक्र किया, जो हर साल अपने बंगले पर होली मनाते हैं, और पूछा कि क्या फराह के अनुसार शाहरुख भी ‘छपरी’ हैं।
Farah Khan called those people Chapri, who do celebrate HOLI. pic.twitter.com/miqomuAYso
— KRK (@kamaalrkhan) February 19, 2025
विवाद का विश्लेषण
Farah Khan के इस बयान ने एक महत्वपूर्ण बहस को जन्म दिया है। एक ओर, कुछ लोग मानते हैं कि सार्वजनिक हस्तियों को अपने शब्दों का चयन सावधानीपूर्वक करना चाहिए, ताकि किसी की भावनाएं आहत न हों। दूसरी ओर, कुछ लोग इसे हल्के-फुल्के मज़ाक के रूप में देख रहे हैं। हालांकि, यह स्पष्ट है कि इस प्रकार के बयानों से सामाजिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलता पर प्रभाव पड़ता है।
फराह खान का होली पर दिया गया यह बयान निश्चित रूप से विवाद का विषय बन गया है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि सार्वजनिक मंचों पर व्यक्त किए गए शब्दों का व्यापक प्रभाव हो सकता है, और हमें अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक संवेदनशीलताओं का सम्मान करना चाहिए।
नोट: इस लेख में शामिल जानकारी विभिन्न स्रोतों से ली गई है, जिनमें जनसत्ता और लाइव हिंदुस्तान शामिल हैं।