भूत की FIR और दो मौतें: कुशीनगर में उलझी पहेली

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Kushinagar News: भूत की FIR और दो मौतें: कुशीनगर में उलझी पहेली

Kushinagar News: कुशीनगर में एक अजीब मामला सामने आया है, जहां एक व्यक्ति के दो मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हुए हैं। इसने न केवल पुलिस बल्कि न्यायपालिका को भी उलझन में डाल दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर अब नए सवाल खड़े हो गए हैं। हाईकोर्ट ने पुलिस की जांच पर कड़ी टिप्पणी करते हुए पूछा कि जब 2011 में एक व्यक्ति को मृत घोषित किया जा चुका था, तो 2016 में उसका मृत्यु प्रमाण पत्र कैसे जारी हुआ। इससे असली और नकली मृत्यु प्रमाण पत्र को लेकर स्थिति और भी उलझ गई है। अब एसपी ने इस मामले की गहन जांच के आदेश दिए हैं।

मामले की शुरुआत

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के हाटा कोतवाली क्षेत्र में रहने वाले एक व्यक्ति के दो मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने के बाद, यह मामला प्रकाश में आया। इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए। हाईकोर्ट ने पूछा कि कैसे एक मृत व्यक्ति के नाम से एफआईआर दर्ज की गई और उसके बयान को रिकॉर्ड किया गया। इतना ही नहीं, उसके बयान के आधार पर कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल कर दी गई। हाईकोर्ट ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए एसपी कुशीनगर को मामले की गहनता से जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए।

‘भूत’ ने अपने दुश्मनों पर FIR दर्ज कराई: पुलिस को बयान भी दर्ज करवा गया, हाईकोर्ट ने SP से पूछा- मर चुका शख्स कैसे दर्ज करवा रहा केस?

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बेशकीमती जमीन से जुड़ा मामला

यह मामला सड़क किनारे स्थित एक बेशकीमती जमीन से जुड़ा हुआ है। दरअसल, इस जमीन को लेकर विवाद चल रहा था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत के बाद उसके नाम पर एफआईआर दर्ज की गई। यह मामला शब्द प्रकाश नामक व्यक्ति से जुड़ा है, जिनकी मृत्यु 2011 में हो गई थी। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि 2014 में उनके नाम से एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें उन्होंने अपने विपक्षियों पर धोखाधड़ी और धमकी देने का आरोप लगाया था।

हाईकोर्ट की सख्त प्रतिक्रिया

जब यह मामला 2019 में हाईकोर्ट में पहुंचा तो विपक्षियों को नोटिस मिला। हाईकोर्ट ने यह सवाल उठाया कि एक मृत व्यक्ति कैसे केस दर्ज करा सकता है। इसके बाद हाईकोर्ट ने कुशीनगर पुलिस की कार्यवाही पर सवाल उठाते हुए इस पूरे मामले की जांच के आदेश दिए। हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद, एसपी कुशीनगर ने मामले की जांच कराई तो एक नया मोड़ सामने आया। जांच में पाया गया कि जिस व्यक्ति को 2011 में मृत घोषित किया गया था, उसने 2016 में मुंबई के टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल में इलाज कराया और उसी साल उसकी मृत्यु हो गई।

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शब्द प्रकाश की दो बार मौत

इस मामले ने तब और पेचिदा हो गया जब पता चला कि शब्द प्रकाश का एक और मृत्यु प्रमाण पत्र 2016 में जारी हुआ था। यानी कि शब्द प्रकाश की दो बार मौत हुई – एक बार 2011 में और दूसरी बार 2016 में। एक ही व्यक्ति के दो मृत्यु प्रमाण पत्र कैसे जारी हुए, यह एक गंभीर जांच का विषय बन गया है।

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मामले की जटिलता

इस मामले में वादी शब्द प्रकाश की मौत हो चुकी है और विपक्षी पक्ष में से एक जयनाथ सिंह भी अब इस दुनिया में नहीं हैं। शब्द प्रकाश के भाई का कहना है कि उनकी मौत 2016 में मुंबई के टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल में हुई थी, जहां उनका कैंसर का इलाज चल रहा था। इस सबके बीच, पुलिस मामले की गहनता से जांच कर रही है।

इस मामले ने न केवल पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि न्यायपालिका को भी एक नई चुनौती दी है। अब इस बात का इंतजार है कि पुलिस की जांच में क्या नतीजे सामने आते हैं और क्या इस असमंजस की स्थिति का कोई समाधान निकलता है।

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