Jaigarh Fort Jaipur: जयगढ़ किले का खजाना आज भी रहस्य: इंदिरा गांधी ने 5 महीने तक कराई थी खुदाई, जानें पूरी कहानी!
जयगढ़ किले का खजाना और उसका रहस्यमयी इतिहास
Jaigarh Fort Jaipur : क्या आपने कभी सोचा कि एक किले में छिपा खजाना इतना रहस्यमय हो सकता है कि उसे खोजने के लिए सेना तक उतार दी जाए? जयपुर का जयगढ़ किला ऐसा ही एक स्थान है, जिसका खजाना आज भी लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है। साल 1976 में, भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस किले में खजाने की तलाश के लिए बड़े पैमाने पर खुदाई कराई थी, जो पूरे 5 महीने चली। इस घटना ने न सिर्फ भारत बल्कि पड़ोसी देश पाकिस्तान को भी हिलाकर रख दिया, जिसने इस खजाने पर अपना हक जताया था।
यह लेख आपको जयगढ़ किले के खजाने की पूरी कहानी बताएगा। हम जानेंगे कि यह खजाना क्या था, इसे क्यों छिपाया गया, और इंदिरा गांधी की खुदाई के बाद क्या हुआ। साथ ही, आपको इस रहस्य को समझने के लिए कुछ रोचक तथ्य और सुझाव भी मिलेंगे। तो चलिए, इस अनसुलझे रहस्य की यात्रा पर निकलते हैं!
जयगढ़ किला क्या है और इसका इतिहास
जयगढ़ किला राजस्थान के जयपुर शहर में स्थित एक ऐतिहासिक किला है, जो आमेर किले के ऊपर पहाड़ी पर बना हुआ है। इसे 18वीं शताब्दी में बनवाया गया था और यह अपनी मजबूत संरचना और दुनिया की सबसे बड़ी तोप “जयवाणी” के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन इस किले की असली शोहरत इसके कथित खजाने से जुड़ी है, जो मुगल काल से संबंधित बताया जाता है।
कहा जाता है कि मुगल सम्राट अकबर ने अपने सेनापति राजा मान सिंह को अफगानिस्तान पर विजय प्राप्त करने के लिए भेजा था। मान सिंह ने न सिर्फ जीत हासिल की, बल्कि वहां से भारी मात्रा में सोना, चांदी और जवाहरात लेकर जयपुर लौटे। लेकिन उन्होंने यह खजाना अकबर को सौंपने की बजाय जयगढ़ किले के गुप्त पानी के टैंकों में छिपा दिया। यह कहानी इतिहासकारों आरएस खानगरोट और पीएस नाथावत की किताब “जयगढ़, द इनविसाइबल फोर्ट ऑफ आंबेर“ में विस्तार से वर्णित है।
1976 की खुदाई: इंदिरा गांधी और आपातकाल का कनेक्शन
आपातकाल और खजाने की खोज की शुरुआत
साल 1976 में भारत में आपातकाल लागू था। इस दौरान इंदिरा गांधी की सरकार का पूरा नियंत्रण था, विपक्षी नेता जेल में थे, और मीडिया पर सख्त पाबंदी थी। इसी समय इंदिरा ने जयगढ़ किले में खजाने की तलाश का फैसला लिया। सेना, आयकर विभाग और अन्य सरकारी टीमों को किले में तैनात किया गया। खुदाई का काम अगस्त 1976 में शुरू हुआ और पूरे 5 महीने तक चला।
पाकिस्तान का दावा और विवाद
खुदाई की खबर इतनी फैल गई कि पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने इंदिरा गांधी को पत्र लिखकर इस खजाने में हिस्सेदारी मांगी। उनका दावा था कि यह खजाना मुगल काल का है और उस समय के इतिहास को देखते हुए पाकिस्तान का भी उस पर अधिकार बनता है। इस पत्र ने मामले को और रहस्यमय बना दिया।
खुदाई के दौरान क्या हुआ?
खुदाई के दौरान किले के ऊपर हेलिकॉप्टर मंडराते देखे गए, जिससे अफवाहें तेज हो गईं। कुछ लोगों का मानना था कि खजाना मिल गया और उसे गुप्त रूप से दिल्ली ले जाया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जयपुर-दिल्ली हाईवे को कई दिनों तक बंद किया गया था और 50-60 ट्रक दिल्ली की ओर गए थे। लेकिन इन ट्रकों में क्या था, यह आज तक स्पष्ट नहीं हो सका।
इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी ने भी खुदाई के दौरान किले का दौरा किया। जब खुदाई खत्म हुई, तो इंदिरा ने घोषणा की कि किले में सिर्फ 230 किलो चांदी मिली और कोई बड़ा खजाना नहीं था। लेकिन उनकी बात पर कई लोगों को भरोसा नहीं हुआ।
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