वायनाड में केदारनाथ जैसी त्रासदी: 4 घंटे में 22 हजार की आबादी वाले 4 गांव तबाह

वायनाड में केदारनाथ जैसी त्रासदी
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वायनाड में केदारनाथ जैसी त्रासदी: 4 घंटे में 22 हजार की आबादी वाले 4 गांव तबाह

केरल के वायनाड में भूस्खलन ने एक बड़ा तबाही मचाया है। मरने वालों की संख्या 156 तक पहुंच गई है और 100 लोग अभी भी लापता हैं। लगातार हो रही बारिश के कारण बचाव कार्य में समस्याएं आ रही हैं। मुंडक्कई और चूरलामाला के बीच पुल टूटने से भूस्खलन प्रभावित इलाकों से संपर्क टूट गया है। मौसम विभाग ने रेड अलर्ट जारी किया है, जिससे हेलीकॉप्टर भी उड़ान नहीं भर पा रहे हैं। अब लोगों को जमीन के रास्ते निकालने की कोशिश की जा रही है।

22 हजार की आबादी वाले 4 गांवों की तबाही

मंगलवार सुबह पहाड़ों से आई बाढ़ ने वायनाड में एक भारी तबाही मचाई है। लगभग 22 हजार की आबादी वाले चार गांव महज 4 घंटे में पूरी तरह तबाह हो गए हैं। घर दब गए हैं और सैकड़ों लोग मलबे में दब गए हैं। इस घटना ने 11 साल पहले केदारनाथ त्रासदी की यादें ताजा कर दी हैं। रात में सोए लोगों को सुबह मलबे में ही पाया गया। अब राहत और बचाव कार्य जारी है, लेकिन भूस्खलन और भारी बारिश ने इसे बहुत कठिन बना दिया है।

प्रभावित गांव और बचाव कार्य

वायनाड के जो चार गांव पूरी तरह तबाह हो गए हैं, उनमें मुंडक्कई, चूरलामाला, अट्टामाला और नूलपुझा शामिल हैं। मुंडक्कई और चूरलामाला के बीच पुल टूट जाने से भूस्खलन प्रभावित इलाकों से संपर्क कट गया है। मौसम विभाग ने रेड अलर्ट जारी किया है, जिसके कारण हेलीकॉप्टर राहत कार्य में भाग नहीं ले पा रहे हैं। अब लोगों को जमीन के रास्ते निकालने की कोशिश की जा रही है। मौसम विभाग ने वायनाड और आसपास के जिलों में भारी बारिश को लेकर रेड अलर्ट जारी किया है, जिसके बाद केरल के 11 जिलों में स्कूल बंद करने के निर्देश दिए गए हैं।

पहाड़ों से आई बाढ़ की तबाही

वायनाड में कुदरत का कहर देखकर हर कोई हैरान है। इसे वायनाड की सबसे बड़ी त्रासदी माना जा रहा है। चार घंटे में तीन जगहों पर भूस्खलन हुआ और पहाड़ों से आई बाढ़ ने चार गांवों को बहा दिया। अब मलबा हटाया जा रहा है और उसमें कीचड़ में लिपटे या पत्थरों के नीचे दबे शव मिल रहे हैं। कुछ शव नदी में तैरते हुए भी देखे गए हैं। बचाव दल अपनी जान की परवाह किए बिना राहत कार्य में जुटे हैं। वायनाड में इस तरह की तबाही शायद ही किसी ने देखी होगी।

केदारनाथ जैसी आपदा: एक तुलना

16-17 जून 2013 की रात को उत्तराखंड में हुई त्रासदी आज भी लोगों के दिलो-दिमाग में ताजा है। उस रात भारी बारिश के बाद अचानक बाढ़ और भूस्खलन हुआ। अलकनंदा, भागीरथी और मंदाकिनी नदियों ने रौद्र रूप धारण कर लिया और कई इलाके नक्शे से गायब हो गए। इस त्रासदी में 10 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई। वायुसेना की मदद से 1.10 लाख से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला गया। चोराबारी ग्लेशियर की बर्फीली दीवार टूटने से अचानक बाढ़ आई और केदारनाथ से लेकर हरिद्वार तक तबाही मच गई थी।

वायनाड का वर्तमान हाल

वायनाड, जो पहले एक खूबसूरत पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता था, अब पूरी तरह तबाह हो चुका है। यह क्षेत्र समुद्र तल से 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यहां की हरी-भरी वनस्पतियां और धुंध से ढके पहाड़ इसे स्वर्ग जैसी जगह बनाते थे। लेकिन अब चारों तरफ मलबा फैला हुआ है और कई जगहों पर सड़कें धंस गई हैं। सोमवार और मंगलवार की दरमियानी रात वायनाड में भारी बारिश आफत बन गई। रात 1 बजे से सुबह 5 बजे के बीच तीन बार भूस्खलन हुआ और चार सुंदर गांव चूरलमाला, अट्टामाला, नूलपुझा और मुंडक्कई पूरी तरह तबाह हो गए। कुछ ही देर में सैकड़ों घर मलबे के ढेर में बदल गए।

इस आपदा के बीच, वायनाड और उसके आसपास के क्षेत्रों में अब भी राहत और बचाव कार्य जारी हैं, और स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है।

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50 किमी दूर तक मिले शव

केरल के चार गांवों में ज्यादातर चाय बागान के मजदूर रहते हैं, जिनकी कुल जनसंख्या लगभग 22 हजार है। रात के एक बजे पहली बार लैंडस्लाइड हुई जब लोग अपने घरों में सो रहे थे। अचानक आई इस आपदा ने लोगों को बचने का मौका नहीं दिया। इसके बाद, सिलसिलेवार दो और लैंडस्लाइड्स हुईं, जिससे घर और निर्माण तो तहस-नहस हो गए ही, साथ ही लोग भी मलबे में दब गए। इसमें बच्चे, बुजुर्ग, और महिलाएं सभी शामिल थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि आधी रात को भारी बारिश के बीच कुदरत का कहर बरपा। कई जगहों पर पहाड़ दरक गए और मुंडक्कई में पहाड़ों से मलबा और पानी बहकर नीचे आया। मुंडक्कई उच्च जोखिम वाले आपदा क्षेत्र में आता है। यहां से मिट्टी और चट्टानें चूरलमाला तक पहुंच गईं, जिससे चार गांव बह गए। लैंडस्लाइड वाली जगह से 50 किलोमीटर दूर 10 शव मिले हैं। बुधवार को चलियार नदी से दो और शव बरामद हुए, और मुंडक्कई में आठ शव मिले हैं।

मंगलवार सुबह तक रुक-रुक कर बारिश होती रही। इस बीच, सेना, नौसेना, वायुसेना, एनडीआरएफ और केरल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। हालांकि, मौसम अभी भी खराब है, जिससे जवान अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को बचाने में लगे हैं।

800 लोगों की टीम रेस्क्यू में जुटी

स्थानीय लोगों का कहना है कि मुंडक्कई और चूरलमाल के बीच पुल ढहने से पूरा इलाका अलग-थलग पड़ गया है। चुन्नरमाला नदी उफान पर है, जिसकी चौड़ाई करीब 100 मीटर है। NDRF की एक छोटी टीम किसी तरह नदी पार कर दूसरी ओर पहुंची और अब तक करीब 800 लोगों को रेस्क्यू किया है। अफसरों का कहना है कि मौसम विभाग ने दो दिन का रेड अलर्ट जारी किया है, जिससे हेलिकॉप्टर भी उड़ान नहीं भर सकते। इसलिए, पानी और मलबे के बीच फंसे लोगों तक पहुंचने के लिए ज़मीन के रास्ते से कोशिश की जा रही है। रेस्क्यू ऑपरेशन दिन-रात चल रहा है, लेकिन बारिश और तेज बहाव के कारण मुश्किलें बढ़ रही हैं।

केरल में भूस्खलन और बाढ़ की घटनाएं

2018 में आई बाढ़ के कारण केरल में 483 लोगों की मौत हुई थी, जिसे ‘सदी की बाढ़’ कहा गया। इस आपदा में लोगों की जान, संपत्ति, और आजीविका तीनों का नुकसान हुआ था। केंद्र सरकार ने इसे ‘डिजास्टर ऑफ सीरियस नेचर’ घोषित किया था। इसके बाद, 3.91 लाख परिवारों के 14.50 लाख से ज्यादा लोगों को राहत शिविरों में पुनर्वासित किया गया। 57,000 हेक्टेयर कृषि फसलें भी नष्ट हो गईं। भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टरों द्वारा प्रेग्नेंट महिलाओं को एयरलिफ्ट करने की तस्वीरें अभी भी लोगों के जेहन में ताजा हैं। इसके बाद, 2019 में वायनाड के पुथुमाला में भूस्खलन हुआ, जिसमें 17 लोगों की मौत हो गई। अक्टूबर 2021 में फिर भूस्खलन हुआ, जिससे इडुक्की और कोट्टायम जिलों में 35 लोगों की मौत हुई। 2021 में बाढ़ और भूस्खलन से कुल 53 लोगों की जान गई थी।

अगस्त 2022 में भारी बारिश के कारण भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ में 18 लोगों की मौत हो गई। सैकड़ों संपत्तियों को नुकसान पहुंचा और हजारों लोग राहत शिविरों में विस्थापित हुए। मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस के अनुसार, 2015 और 2022 के बीच देश में हुए 3,782 भूस्खलनों में से सबसे ज्यादा 2,239 लैंडस्लाइट केरल में दर्ज की गई हैं।

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