MahaKumbh 2025! गंगा जल इतना शुद्ध कि अल्कलाइन वाटर भी फेल! जानिए वैज्ञानिकों का दावा!

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OMG! गंगा जल इतना शुद्ध कि अल्कलाइन वाटर भी फेल! जानिए वैज्ञानिकों का दावा!

MahaKumbh: महाकुंभ के दौरान गंगा नदी के जल की शुद्धता को लेकर अक्सर सवाल उठाए जाते हैं। लेकिन हाल ही में पद्मश्री से सम्मानित वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार सोनकर ने एक शोध के माध्यम से यह साबित किया है कि गंगा का जल न केवल स्नान योग्य है, बल्कि यह अल्कलाइन वाटर जितना शुद्ध और स्वास्थ्यवर्धक है। इस लेख में हम गंगा जल की शुद्धता, इसके स्वास्थ्य लाभ, और डॉ. सोनकर के शोध के निष्कर्षों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

गंगा जल की शुद्धता: वैज्ञानिक शोध का निष्कर्ष

गंगा जल क्यों है इतना शुद्ध?

डॉ. अजय कुमार सोनकर ने अपनी प्रयोगशाला में गंगा जल के नमूनों की जांच की। उन्होंने पाया कि गंगा जल में बैक्टीरियोफेज नामक सूक्ष्मजीव मौजूद हैं, जो हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं। यही कारण है कि गंगा का पानी इतना शुद्ध और स्वच्छ बना रहता है।

शोध के प्रमुख बिंदु

  • गंगा जल में 1100 प्रकार के बैक्टीरियोफेज पाए गए।
  • करोड़ों श्रद्धालुओं के स्नान के बाद भी जल का पीएच स्तर सामान्य (8.4 से 8.6) रहा।
  • जल के नमूनों को 14 घंटे तक इंक्यूबेशन तापमान पर रखने के बाद भी हानिकारक बैक्टीरिया की वृद्धि नहीं हुई।

गंगा जल के स्वास्थ्य लाभ

त्वचा के लिए फायदेमंद

डॉ. सोनकर के अनुसार, गंगा जल न केवल स्नान के लिए सुरक्षित है, बल्कि इसके संपर्क में आने से त्वचा संबंधी रोग भी दूर होते हैं। गंगा जल में मौजूद प्राकृतिक गुण त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाने में मदद करते हैं।

अल्कलाइन गुण

गंगा जल का पीएच स्तर 8.4 से 8.6 के बीच पाया गया, जो इसे अल्कलाइन वाटर जितना शुद्ध बनाता है। अल्कलाइन पानी शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है, क्योंकि यह शरीर के टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है।

गंगा जल को लेकर भ्रम और सच्चाई

क्या गंगा जल आचमन योग्य है?

कुछ संस्थाओं और लोगों ने यह दावा किया था कि गंगा जल आचमन और स्नान के लिए उपयुक्त नहीं है। लेकिन डॉ. सोनकर के शोध ने इन दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। उन्होंने साबित किया कि गंगा जल में किसी भी प्रकार की दुर्गंध या हानिकारक बैक्टीरिया की वृद्धि नहीं होती है।

गंगा जल की अम्लीयता

शोध में पाया गया कि गंगा जल की अम्लीयता (पीएच स्तर) सामान्य से बेहतर है। यह जल न केवल पीने योग्य है, बल्कि इसका उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों में भी किया जा सकता है।

डॉ. अजय कुमार सोनकर: एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक

डॉ. अजय कुमार सोनकर प्रयागराज के नैनी क्षेत्र के निवासी हैं और एक स्वतंत्र शोधकर्ता के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने कृत्रिम रूप से मोती उगाने की तकनीक विकसित करके देशभर में ख्याति अर्जित की है। हाल ही में उन्हें उनके योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।

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गंगा जल की शुद्धता बनाए रखने के लिए सुझाव

  • नदी में कचरा न फेंकें।
  • औद्योगिक कचरे को गंगा में मिलने से रोकें।
  • नदी के किनारे सफाई अभियान चलाएं।
  • जल संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाएं।

गंगा नदी भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान का प्रतीक है। डॉ. अजय कुमार सोनकर के शोध ने यह साबित किया है कि गंगा का जल न केवल स्नान योग्य है, बल्कि यह अल्कलाइन वाटर जितना शुद्ध और स्वास्थ्यवर्धक है। हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम गंगा की शुद्धता को बनाए रखें और इस पवित्र नदी को प्रदूषण से बचाएं।

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