अब बिना पंडित की गवाही और वीडियो फुटेज के नहीं होगा विवाह पंजीकरण: UP सरकार का नया नियम | UP Marriage Registration Rules Hindi
Summary
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उत्तर प्रदेश में विवाह रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव
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अब रजिस्ट्रेशन विवाह स्थल पर नहीं, वर-वधू या उनके माता-पिता की निवास तहसील में
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शादी के समय की वीडियो रिकॉर्डिंग और गवाह की मौजूदगी अनिवार्य
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बिना साक्ष्य और गवाही के अब रजिस्ट्रेशन संभव नहीं
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फर्जी शादियों पर लगाम कसने के लिए लिया गया यह फैसला
UP में विवाह पंजीकरण से जुड़ा क्या बदला है?
UP Marriage Registration Rules Hindi : उत्तर प्रदेश सरकार ने अब विवाह पंजीकरण के पुराने ढर्रे को पूरी तरह बदल दिया है। पहले तक रजिस्ट्रेशन उस स्थान के आधार पर होता था, जहां विवाह सम्पन्न हुआ हो। लेकिन नई व्यवस्था में अब यह पंजीकरण उस तहसील के सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में किया जाएगा, जहां या तो वर, वधू या उनके माता-पिता स्थायी रूप से रहते हैं।
यह कदम उस बढ़ती चिंता के मद्देनज़र उठाया गया है, जिसमें विवाह स्थल की आड़ में फर्जी विवाह करवा कर कानूनी वैधता प्राप्त की जा रही थी।
क्या अब विवाह स्थल का कोई महत्व नहीं रह गया?
पंजीकरण के लिए अब विवाह स्थल को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी। इसका कारण यह है कि अक्सर देखा गया है कि अन्य जिलों या राज्यों में जाकर शादी करके, बिना परिवार की जानकारी के रजिस्ट्रेशन करा लिया जाता था। यह loophole अब पूरी तरह बंद किया जा रहा है।
नए नियमों के अनुसार अब रजिस्ट्रेशन का अधिकार उसी तहसील के सब-रजिस्ट्रार कार्यालय को होगा जहां नवविवाहित दंपती या उनके माता-पिता का निवास प्रमाणित हो।
रजिस्ट्रेशन के लिए किनकी मौजूदगी अनिवार्य होगी?
विवाह रजिस्ट्रेशन के समय परिवार के किसी एक सदस्य की उपस्थिति अब आवश्यक कर दी गई है। यदि किन्हीं कारणों से परिवार का कोई सदस्य मौजूद नहीं हो सकता, तो विवाह सम्पन्न कराने वाले व्यक्ति — जैसे कि पंडित, मौलवी या पारदी — को रजिस्ट्रार कार्यालय में उपस्थित होना पड़ेगा।
यह अनिवार्य गवाही अब हर रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी कर दी गई है।
शादी का वीडियो अब क्यों मांगा जा रहा है?
सरकार ने रजिस्ट्रेशन के समय शादी की वीडियो रिकॉर्डिंग को भी एक अनिवार्य प्रमाण के रूप में स्वीकार किया है। इस वीडियो को एक पेन ड्राइव में लाकर कार्यालय में जमा करना होगा। इसका उद्देश्य शादी की वास्तविकता को प्रमाणित करना है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि शादी विधिवत रीति-रिवाज़ों के अनुसार सम्पन्न हुई है।
इस कदम से उन मामलों पर भी रोक लगेगी, जिनमें कागज़ी कार्यवाही तो होती है, लेकिन असल में शादी नहीं होती।
फर्जी शादी कराने वालों के लिए ये चेतावनी है
पहले विवाह रजिस्ट्रेशन में शादी स्थल के आधार पर लचीलापन था, जिसका दुरुपयोग कर कई लोग फर्जी शादियां दर्ज करा लेते थे।
जैसे:
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नाबालिग लड़कियों से शादी दिखा कर रजिस्ट्रेशन कराना
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दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी कर कानूनी सुरक्षा प्राप्त करना
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जमीन या संपत्ति के मामलों में स्वार्थवश शादी का दुरुपयोग करना
इन सभी स्थितियों से निपटने के लिए अब सबूत और गवाह को अनिवार्य बना दिया गया है।
यह फैसला क्यों लिया गया?
यह आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दिए गए एक महत्वपूर्ण निर्णय — शनिदेव बनाम उत्तर प्रदेश सरकार — के अनुपालन में लिया गया है। अदालत ने विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और ठोस साक्ष्य आधारित बनाने की बात कही थी।
इस निर्णय के बाद, राज्य सरकार ने राजस्व विभाग, स्टांप एवं पंजीयन विभाग और विधि विभाग के साथ परामर्श करके यह नया नियम लागू किया।
यह नियम कब से प्रभावी हुआ?
उत्तर प्रदेश के एआईजी स्टांप पुष्पेंद्र कुमार के अनुसार, यह आदेश शुक्रवार शाम को जारी किया गया था और शनिवार (अगले दिन) से ही पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया है। साथ ही, प्रदेश भर के सभी सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों को निर्देशित कर दिया गया है कि वे इस नए नियम के अनुसार ही विवाह पंजीकरण करें।
अब विवाह पंजीकरण के लिए क्या-क्या जरूरी होगा?
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✅ वर, वधू या उनके माता-पिता के निवास प्रमाण के आधार पर रजिस्ट्रेशन
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✅ विवाह के समय की स्पष्ट वीडियो रिकॉर्डिंग (पेन ड्राइव में जमा करना अनिवार्य)
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✅ परिवार का कोई एक सदस्य रजिस्ट्रेशन के समय उपस्थित हो
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✅ अनुपस्थिति में पंडित/मौलवी/पारदी की प्रत्यक्ष गवाही
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✅ आधिकारिक दस्तावेजों में साक्ष्य की पुष्टि अनिवार्य
स्थानीय जानकारी
यह नियम पूरे उत्तर प्रदेश में लागू है, जिसमें लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज, मेरठ, नोएडा, गोरखपुर जैसे सभी जिलों के सब-रजिस्ट्रार कार्यालय शामिल हैं।
अगर आप इन शहरों में रहते हैं और विवाह पंजीकरण कराने की सोच रहे हैं, तो संबंधित तहसील कार्यालय में संपर्क करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. क्या अब विवाह स्थल पर रजिस्ट्रेशन संभव नहीं है?
नहीं, अब रजिस्ट्रेशन केवल उस तहसील में होगा जहां वर-वधू या उनके माता-पिता रहते हैं।
2. अगर पंडित या मौलवी उपलब्ध नहीं हो तो क्या विकल्प है?
यदि परिवार का कोई सदस्य उपलब्ध हो, तो पंडित की उपस्थिति की आवश्यकता नहीं। परंतु दोनों के अभाव में रजिस्ट्रेशन नहीं होगा।
3. वीडियो सबूत किस फॉर्मेट में चाहिए?
वीडियो को पेन ड्राइव में MP4 या AVI जैसे सामान्य फॉर्मेट में लाना होगा।
4. यह नियम सिर्फ यूपी में लागू है या पूरे देश में?
फिलहाल यह नियम सिर्फ उत्तर प्रदेश राज्य में लागू किया गया है।
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