पैरासिटामोल (Paracetamol) समेत 50 से ज्यादा दवाएं टेस्ट में फेल, क्या आप भी कर रहे हैं इनका सेवन? तो ये जानकारी आपके लिए जरूरी है!

by ppsingh
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पैरासिटामोल (Paracetamol) समेत 50 से ज्यादा दवाएं टेस्ट में फेल, क्या आप भी कर रहे हैं इनका सेवन? तो ये जानकारी आपके लिए जरूरी है!

नई दिल्ली: अगस्त 2024 में भारत के सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) द्वारा किए गए क्वालिटी टेस्ट में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, विटामिन सप्लीमेंट्स, कैल्शियम डी3, बच्चों में बैक्टीरियल संक्रमण और एसिड रिफ्लक्स के इलाज में दी जाने वाली कई महत्वपूर्ण दवाएं गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरीं। इन दवाओं को “नो स्टैंडर्ड क्वालिटी” (NSQ) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। अगर आप इन दवाइयों का उपयोग करते हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

क्वालिटी टेस्ट में फेल होने वाली दवाएं:

रिपोर्ट में निम्नलिखित दवाएं फेल पाई गई हैं:

  1. पैरासिटामोल टैबलेट्स (500 mg): यह दवा हल्के बुखार और दर्द निवारक के रूप में काम में ली जाती है। यह लगभग हर घर में पाई जाती है और प्राथमिक उपचार का हिस्सा होती है।
  2. ग्लाइमेपिराइड: यह एक एंटी-डायबिटिक दवा है, जिसका इस्तेमाल शुगर के इलाज में होता है। इसका निर्माण अल्केम हेल्थ द्वारा किया गया था।
  3. टेल्मा H (टेल्मिसर्टान 40 mg): यह हाई ब्लड प्रेशर के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवा है, जिसे ग्लेनमार्क ने बनाया है। परीक्षण में यह भी मानकों पर खरी नहीं उतरी।
  4. Pan D: एसिड रिफ्लक्स के इलाज में दी जाने वाली यह दवा भी परीक्षण में फेल रही। इसका निर्माण अल्केम हेल्थ साइंस द्वारा किया गया था।
  5. शेल्कल C और D3 कैल्शियम सप्लीमेंट्स: इन कैल्शियम सप्लीमेंट्स का निर्माण Pure & Cure हेल्थकेयर द्वारा किया गया और इसे टोरेंट फार्मास्यूटिकल्स द्वारा वितरित किया गया था।
  6. क्लैवम 625: यह एक एंटीबायोटिक दवा है, जो अक्सर बैक्टीरियल संक्रमणों के इलाज में दी जाती है।
  7. सेपोडेम XP 50 ड्राई सस्पेंशन: यह बच्चों में बैक्टीरियल संक्रमण के इलाज में दी जाती है। इसे हैदराबाद की हेटेरो कंपनी ने बनाया था, लेकिन यह भी क्वालिटी टेस्ट में फेल पाई गई।
  8. Pulmosil (इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए): सन फार्मा द्वारा बनाई गई यह दवा भी मानकों पर खरी नहीं उतरी।
  9. Pantocid (एसिड रिफ्लक्स के लिए): यह एसिडिटी और रिफ्लक्स के इलाज में दी जाने वाली सन फार्मा की एक और दवा है, जो परीक्षण में फेल हुई।
  10. Ursocol 300: सन फार्मा की यह दवा भी फेल पाई गई।
  11. Defcort 6: गठिया के इलाज में दी जाने वाली यह दवा मैकलॉयड्स फार्मा द्वारा बनाई गई थी और यह भी क्वालिटी टेस्ट में फेल रही।

कंपनियों की प्रतिक्रिया:

इन दवाओं की क्वालिटी रिपोर्ट आने के बाद संबंधित कंपनियों ने जवाब दाखिल किया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि रिपोर्ट में बताए गए बैच उनके द्वारा बनाए नहीं गए थे और हो सकता है कि ये नकली उत्पाद हों। कंपनियों ने आगे कहा कि वे इस मामले में जांच के परिणाम का इंतजार कर रही हैं।

CDSCO की रिपोर्ट और स्थिति:

CDSCO (Central Drugs Standard Control Organization) ने बताया कि यह जांच नकली दवाओं की पहचान पर आधारित है। फिलहाल, यह स्पष्ट नहीं है कि इन दवाओं को नकली रूप में बाजार में उतारा गया या मानकों के उल्लंघन के तहत निर्मित किया गया है। जब तक जांच के परिणाम सामने नहीं आते, इन दवाओं की बिक्री पर कोई रोक नहीं लगाई गई है, लेकिन संबंधित कंपनियों को आवश्यक कदम उठाने को कहा गया है।

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संभावित स्वास्थ्य खतरे:

गुणवत्ता मानकों पर फेल होने वाली दवाएं लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरे पैदा कर सकती हैं। अगर नकली दवाओं की बात सामने आती है, तो यह न केवल इलाज को प्रभावित करेगा बल्कि पूरे स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करेगा। CDSCO द्वारा की जा रही जांच इस समस्या की गंभीरता को रेखांकित करती है और भविष्य में दवा उद्योग की सख्त निगरानी की आवश्यकता को भी दर्शाती है।

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CDSCO क्या है?

CDSCO, यानी सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन, भारत का मुख्य ड्रग नियामक संगठन है। यह संगठन भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन काम करता है। इसका मुख्य काम दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और सौंदर्य प्रसाधनों की गुणवत्ता और सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।

CDSCO के कार्य:

  1. दवाओं और उपकरणों के लिए लाइसेंस जारी करना: नई दवाओं और उपकरणों को बाजार में लाने के लिए लाइसेंस जारी करना।
  2. गुणवत्ता की निगरानी: दवाओं और उपकरणों की गुणवत्ता पर निगरानी रखना।
  3. क्लिनिकल ट्रायल की मंजूरी: दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के परीक्षण की मंजूरी देना।
  4. गुणवत्ता नियंत्रण: मानकों का पालन न करने वाले उत्पादों के खिलाफ कार्रवाई करना।
  5. निरीक्षण और समीक्षा: दवा उत्पादन इकाइयों का नियमित निरीक्षण और समीक्षा करना।
  6. फार्माकोविजिलेंस: दवाओं के दुष्प्रभावों की निगरानी और रिपोर्टिंग सुनिश्चित करना।

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इन दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठना देश के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए एक गंभीर चुनौती है। नकली दवाओं का बाजार में होना मरीजों के लिए घातक हो सकता है। CDSCO की यह रिपोर्ट निश्चित रूप से दवा उद्योग और उससे जुड़े लोगों के लिए एक चेतावनी है कि गुणवत्ता मानकों का सख्ती से पालन किया जाए।

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ब्यूरो रिपोर्ट, टॉकआज मीडिया  

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