PresVu Eye Drops Ban: चश्मे से छुटकारा दिलाने वाली ड्रॉप्स पर अचानक क्यों लगा बैन?

by ppsingh
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PresVu Eye Drops Ban

PresVu Eye Drops Ban: चश्मे से छुटकारा दिलाने वाली ड्रॉप्स पर अचानक क्यों लगा बैन?

PresVu Eye Drops Ban: ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने हाल ही में PresVu आई ड्रॉप्स की मंजूरी को निलंबित कर दिया है, जिसने पढ़ने के चश्मे की जगह लेने के बड़े दावे के साथ बाजार में अपनी पहचान बनाई थी। DCGI ने एंटोड फार्मास्युटिकल्स को इस आई ड्रॉप्स के विपणन और निर्माण का लाइसेंस रद्द कर दिया है।

क्यों बैन की गई PresVu Eye Drops?

PresVu आई ड्रॉप्स का मामला:
PresVu आई ड्रॉप्स को एक क्रांतिकारी उत्पाद के रूप में पेश किया गया था, जिसमें कहा गया था कि यह प्रिस्बायोपिया से पीड़ित लोगों को चश्मे की आवश्यकता को कम कर सकती है। प्रिस्बायोपिया एक आंखों की स्थिति है, जो उम्र के साथ दृष्टि को कमजोर कर देती है, खासकर 40 साल की उम्र के बाद। कंपनी ने इसे भारत की पहली ऐसी आई ड्रॉप्स के रूप में प्रचारित किया था, जो पढ़ने के चश्मे की आवश्यकता को लगभग समाप्त कर सकती है।

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क्या दावा किया गया था? PresVu Eye Drops License Suspended: Were the Company’s Claims Misleading

एंटोड फार्मास्युटिकल्स का दावा था कि PresVu आई ड्रॉप्स 40-55 वर्ष के लोगों के लिए आदर्श हैं और इसके इस्तेमाल से चश्मे की जरूरत कम हो सकती है। इसके मुख्य घटक पिलोकार्पिन के कारण आंखों की पुतलियों का आकार छोटा हो जाता है, जिससे पास की वस्तुओं को आसानी से देखा जा सकता है। कंपनी का दावा था कि ड्रॉप्स लगाने के बाद 15 मिनट के भीतर असर दिखना शुरू हो जाता है और इसका प्रभाव 6 घंटे तक रहता है।

DCGI ने क्यों की आपत्ति?

DCGI ने एंटोड फार्मास्युटिकल्स द्वारा किए गए दावों पर सवाल उठाते हुए उनके विपणन और निर्माण के लाइसेंस को निलंबित कर दिया। नियामक का कहना है कि कंपनी ने “अनधिकृत प्रचार” किया और कई ऐसे दावे किए, जिनके लिए उचित वैज्ञानिक प्रमाण नहीं थे। DCGI ने यह भी बताया कि आई ड्रॉप्स के असुरक्षित उपयोग के बारे में भी गंभीर चिंताएं हैं।

कौन-कौन से दावे गलत थे?

नियामक ने कंपनी के तीन मुख्य दावों पर आपत्ति जताई:

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  1. भारत की पहली आई ड्रॉप्स जो चश्मे की आवश्यकता को कम कर सकती है।
    • DCGI का कहना है कि पिलोकार्पिन हाइड्रोक्लोराइड पर ऐसा कोई दावा मंजूर नहीं किया गया है।
  2. चश्मे के बिना पास की दृष्टि को बेहतर बनाने का गैर-आक्रामक विकल्प।
    • इसे प्रिस्बायोपिया के इलाज के लिए मंजूरी मिली थी, लेकिन चश्मे की जरूरत को पूरी तरह खत्म करने का दावा सही नहीं है।
  3. 15 मिनट में असर दिखाने का दावा।
    • DCGI के अनुसार, PresVu आई ड्रॉप्स के 15 मिनट में असर दिखाने का कोई प्रमाण नहीं है।

एंटोड फार्मास्युटिकल्स की प्रतिक्रिया

कंपनी ने DCGI के इस फैसले को अदालत में चुनौती देने का निर्णय लिया है। एंटोड फार्मास्युटिकल्स के सीईओ निक्खिल के. मासुरकर ने कहा है कि कंपनी ने मीडिया या जनता के सामने कोई गलत तथ्य प्रस्तुत नहीं किए हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि कंपनी ने DCGI को सभी नियंत्रित फेज 3 क्लिनिकल ट्रायल्स के परिणाम सौंपे थे, जिसमें आई ड्रॉप्स की प्रभावशीलता और सुरक्षा को प्रमाणित किया गया था।

PresVu आई ड्रॉप्स का भविष्य

PresVu आई ड्रॉप्स का निलंबन सिर्फ एक कानूनी लड़ाई नहीं है, बल्कि यह फार्मास्युटिकल नवाचार और नियामक पारदर्शिता पर भी सवाल उठाता है। यह मामला इस बात पर प्रकाश डालता है कि किसी भी नई दवा के विकास और मार्केटिंग में सही वैज्ञानिक प्रमाण और सुरक्षा का पालन करना कितना महत्वपूर्ण है।

PresVu ड्रॉप्स की कीमत और उपलब्धता

PresVu ड्रॉप्स की कीमत 350 रुपये थी और इसे अक्टूबर 2024 से बाजार में उपलब्ध करवाने की योजना बनाई गई थी। इसे फार्मेसियों में आसानी से उपलब्ध करवाने के लिए तैयार किया गया था, लेकिन अब इसके भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि प्रतिबंध के बाद यह ड्रॉप्स बाजार में दोबारा कब तक उपलब्ध हो पाएगी।

विशेषज्ञों की राय

इस मामले में कई चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि दवा कंपनियों को अपने उत्पादों के दावे करते समय और अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए। किसी भी नए उत्पाद के लिए जरूरी है कि उसके सभी दावे प्रमाणित हों, ताकि जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ न हो। इस तरह की घटनाएं उपभोक्ताओं की सुरक्षा के प्रति सरकार और नियामक संस्थाओं की सख्ती को दर्शाती हैं।

आगे की राह

PresVu आई ड्रॉप्स का मामला निश्चित रूप से भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग के लिए एक अहम मील का पत्थर साबित हो सकता है। यह स्पष्ट हो गया है कि नवाचार और क्रांतिकारी उत्पादों के लिए भी सख्त नियामक मानकों का पालन करना जरूरी है। इस मामले का परिणाम न केवल एंटोड फार्मास्युटिकल्स के भविष्य पर असर डालेगा, बल्कि पूरी फार्मा इंडस्ट्री के लिए एक सख्त संकेत भी साबित हो सकता है।


PresVu Eye Drops के बैन ने यह दिखा दिया है कि दवाओं के निर्माण और मार्केटिंग में वैज्ञानिक प्रमाण और सुरक्षा मानकों का महत्व कितना अधिक है। उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए यह कदम सही दिशा में उठाया गया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि कंपनी इस निलंबन के खिलाफ क्या कदम उठाती है और क्या PresVu आई ड्रॉप्स फिर से बाजार में वापसी कर पाएगी।

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