आरक्षण विवाद: बांग्लादेश (Bangladesh) में हिंसा से 200 की मौत, 11 पुलिसवाले मारे गए

आरक्षण विवाद: बांग्लादेश (Bangladesh) में हिंसा से 200 की मौत, 11 पुलिसवाले मारे गए

TalkAaj News: बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर भारी हिंसा हो रही है। पूरे देश में तनाव और दंगे का माहौल है। सड़कों पर आगजनी, तोड़फोड़, और विरोध प्रदर्शन आम हो गए हैं। यह वही बांग्लादेश है जहां कई दिनों से आरक्षण की मांग के चलते हालात बिगड़े हुए हैं। हर शहर में पत्थरबाजी, आगजनी और प्रदर्शन हो रहे हैं।

छात्रों की मांग पर हसीना ने चलवाई गोलियां!

बांग्लादेश में हिंसा का तांडव मचा हुआ है। प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग पर प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए हैं। कई जगहों पर लूट और आगजनी हुई, और 11 पुलिसवालों को पीट-पीटकर मार दिया गया। पुलिस चौकियों को भी जला दिया गया। ढाका, चटगांव, खुलना और कोमिला में शुरू हुआ आंदोलन अब पूरे देश में फैल गया है। प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए पुलिस को गोलियां चलानी पड़ी। हिंसा इतनी बढ़ चुकी है कि आंदोलन अब छात्रों के हाथ से निकल कर कट्टर इस्लामिक संगठनों के हाथों में चला गया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि शेख हसीना ने छात्रों की मांग पर गोलियां चलवाई हैं, इसलिए उन्हें इस्तीफा देना ही पड़ेगा, नहीं तो आंदोलन की आग सब कुछ खाक कर देगी।

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जुमे की नमाज के बाद फिर भड़की हिंसा

शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। शनिवार को हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और विरोध प्रदर्शन करने लगे। रविवार को ढाका में प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों और सत्तारूढ़ अवामी लीग के समर्थकों के बीच झड़प हो गई। इसे रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस भी तैनात थी, लेकिन प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच जमकर टकराव हुआ।

गिरफ्तार लोगों की रिहाई की मांग

प्रदर्शनकारी उन छात्रों की रिहाई की मांग कर रहे हैं जिन्हें आरक्षण की मांग के चलते हुई हिंसा में गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले सरकार ने विरोध करने वाले नेताओं की रिहाई का फैसला किया था, लेकिन इससे जनता का गुस्सा शांत नहीं हुआ। अब बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन शुरू करने वाले छह बड़े नेताओं को रिहा करने के एक दिन बाद ही इन्हीं नेताओं ने लोगों से दोबारा सड़कों पर आने की अपील की है। हालत यह है कि बांग्लादेश की सड़कों पर मौत का तांडव चल रहा है। अगले तीन दिनों तक सरकारी कार्यालयों को बंद करने के निर्देश जारी किए गए हैं और अनिश्चितकाल तक के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है।

हिंसा से 1 दिन में 100 लोगों की मौत

ढाका के सरकारी दफ्तरों और दुकानों को बंद रखा गया। शाहबाग में सैकड़ों छात्र और प्रदर्शनकारी एकजुट हो गए। शेख हसीना के खिलाफ नारेबाजी की गई और यूनिवर्सिटी के बाहर खड़ी कारों में तोड़फोड़ की गई। कई बाइकों को जला दिया गया। प्रदर्शनकारियों और अवामी लीग के समर्थकों के बीच हिंसक झड़प में एक ही दिन में 100 लोगों की मौत हो गई। हिंसा को बढ़ते देख सरकार ने सोशल मीडिया पर पाबंदी लगा दी है और प्रधानमंत्री शेख हसीना ने प्रदर्शनकारियों से सख्ती से निपटने के निर्देश दिए हैं।

बांग्लादेश में क्यों भड़की थी हिंसा?

पिछले महीने छात्रों ने सरकारी नौकरियों में कोटा खत्म करने की मांग के साथ विरोध प्रदर्शन शुरू किया था। सिविल सेवा नौकरी कोटा के खिलाफ छात्र रैलियों ने तबाही मचाई। हिंसा के बाद सामने आए आंकड़ों के मुताबिक कम से कम 200 से ज्यादा लोग मारे गए। यह हिंसा प्रधानमंत्री शेख हसीना के 15 साल के कार्यकाल की सबसे खराब घटनाओं में से एक थी, जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आलोचना की गई।

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