GST में बदलाव: विदेशी कंपनियों को फायदा, भारत के टू-व्हीलर उद्योग को नुकसान? रॉयल एनफील्ड ने की एक समान GST की मांग
GST on Two Wheelers: सिद्धार्थ लाल ने कहा है कि, एक अलग-अलग टैक्स प्रणाली से विदेशी वाहन निर्माताओं को मौका मिलेगा. इससे वो सेगमेंट पीछे छूट जाएगा, जिसमें आज भारत आगे है. 350 CC से ज़्यादा इंजन क्षमता वाली मोटरसाइकिलें भारत के दोपहिया बाज़ार का सिर्फ 1% हिस्सा हैं और इनसे सरकार को मामूली राजस्व मिलता है, इसलिए इन पर ज़्यादा टैक्स नहीं लगना चाहिए.
भारतीय दोपहिया वाहन उद्योग, जिसे लंबे समय से ‘मेक इन इंडिया’ की सबसे बड़ी सफलता की कहानी माना जाता है, आज एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है. हाल ही में प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) में सुधार की घोषणा की थी, जिसके बाद वाहनों की कीमत घटने की चर्चा शुरू हो गई है.
दूसरी ओर, दिग्गज वाहन निर्माता कंपनी आयशर मोटर्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक (MD) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) सिद्धार्थ लाल ने सरकार से आग्रह किया है कि सभी टू-व्हीलर्स पर एक समान 18% GST लागू किया जाए. उनका मानना है कि ऐसा करने से भारत का यह सेक्टर न केवल अपनी मौजूदा बढ़त बनाए रखेगा, बल्कि आने वाले दशकों तक ग्लोबल लीडरशिप भी सुनिश्चित कर सकेगा.
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क्यों हो रही है एक समान GST की मांग?
रॉयल एनफील्ड की मूल कंपनी आयशर मोटर्स लिमिटेड के एमडी सिद्धार्थ लाल ने दोपहिया वाहनों पर लगने वाले GST को एक समान करने की मांग की है. उन्होंने इस विषय पर अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर एक लंबा लेख भी लिखा है.
उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, “भारत का दोपहिया वाहन उद्योग ‘मेक इन इंडिया’ पहल की सबसे बड़ी सफलता की कहानी है. यह अकेला ऐसा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर है, जहाँ भारतीय ब्रांड ग्लोबल लेवल पर लीडर की भूमिका निभा रहे हैं. मज़बूत सरकारी सहयोग और बड़े घरेलू बाज़ार की वजह से, भारतीय निर्माताओं ने बेमिसाल पैमाना और क्षमता हासिल की है. दोपहिया वाहन निर्माताओं ने तकनीक, गुणवत्ता, लागत-दक्षता और डिस्ट्रीब्यूशन में अंतरराष्ट्रीय मानक स्थापित किए हैं. यही ताकत आज विदेशी प्रतिस्पर्धियों को भी भारत में मैन्युफैक्चरिंग करने के लिए आकर्षित कर रही है.”
बड़े इंजन वाली बाइक्स पर ज़्यादा GST से नुकसान
सिद्धार्थ लाल ने अपनी बात जारी रखते हुए लिखा, “भारतीय ब्रांड पहले से ही दुनिया भर में स्मॉल-कैपेसिटी वाले सेगमेंट में हावी हैं और अब बड़े निवेश के माध्यम से हम मिड-कैपेसिटी वाली मोटरसाइकिलों में भी अपनी पकड़ बना रहे हैं. हम किफायती दामों पर दुनिया भर के राइडर्स को बड़ी और ज़्यादा इंजन क्षमता वाली मशीनों से भारत में बनी मिड-साइज़ मोटरसाइकिलों की तरफ आकर्षित कर रहे हैं.”
हालाँकि, उन्होंने हैवी बाइक्स पर लगने वाले जीएसटी को लेकर अपनी चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा, “इस गति को बनाए रखने के लिए, सभी दोपहिया वाहनों पर 18% की एक समान जीएसटी दर बहुत ज़रूरी है. 350cc से कम इंजन क्षमता वाली बाइक्स पर जीएसटी घटाने से ग्राहकों तक हमारी पहुँच बढ़ेगी, लेकिन 350cc से ज़्यादा इंजन क्षमता वाली बाइक्स पर जीएसटी बढ़ाने से उस सेगमेंट को नुकसान होगा जो भारत की वैश्विक बढ़त के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है.”
बंटे हुए टैक्स सिस्टम का क्या होगा असर?
सिद्धार्थ लाल ने बंटे हुए टैक्स सिस्टम से होने वाले नुकसान के बारे में बताया कि, इस “स्पिलिट टैक्स रिज़ीम” से विदेशी वाहन निर्माताओं को मौका मिलेगा, और जिन सेग्मेंट में आज भारत आगे है, वो पीछे छूट जाएगा. उन्होंने कुछ खास बिंदुओं के माध्यम से यह समझाने की कोशिश की कि आखिर बंटा हुआ टैक्स सिस्टम किस तरह से प्रभावित करेगा:
क्यों बढ़ी चिंता?
- 350cc से ऊपर की मोटरसाइकिलें भारत के दोपहिया बाज़ार का सिर्फ 1% हिस्सा हैं.
- इन पर GST बढ़ाने से सरकार को मामूली राजस्व ही मिलेगा, लेकिन पूरा सेगमेंट सिकुड़ सकता है.
- भारतीय राइडर्स के लिए ये मोटरसाइकिलें लग्ज़री सामान नहीं हैं, बल्कि कारों का सस्ता और प्रभावी विकल्प हैं.
- ये कम ईंधन खपत और आसान मेंटेनेंस का लाभ देती हैं, जिससे भारत के फ्यूल इंपोर्ट में भी कमी आती है.
ग्लोबल रीच होगी सीमित:
“अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में सफलता के लिए बड़े और प्रतिस्पर्धी प्रोडक्ट रेंज की ज़रूरत होती है. 350cc से ज़्यादा इंजन क्षमता वाले सेगमेंट पर ज़्यादा GST हमें छोटे इंजन क्षमता वाले दोपहिया वाहनों तक ही सीमित कर देगा. इससे भारतीय ब्रांड्स का मज़बूत डीलर नेटवर्क और ग्लोबल लेवल पर ब्रांड इक्विटी बनाने की क्षमता कमज़ोर होगी.”
विदेशी प्रतिद्वंदियों को मिलेगा मौका:
“जिन देशों में ऐसी टैक्स असमानताएँ नहीं हैं, वहाँ के प्रतिद्वंद्वी ग्लोबल लेवल पर मिड-साइज़ सेगमेंट पर कब्ज़ा कर लेंगे और फिर छोटे इंजन क्षमता वाले बाज़ार में भी घुसपैठ करेंगे, जहाँ अभी भारत अग्रणी है.”
भविष्य की ताक़त: EVs और आगे का रास्ता
सिद्धार्थ लाल ने आगे लिखा कि, “यह महत्वपूर्ण है कि 350cc से ऊपर की मोटरसाइकिलें भारत के दोपहिया बाज़ार का सिर्फ 1% हिस्सा बनाती हैं. इन पर GST बढ़ाने से राजस्व में मामूली बढ़ोतरी होगी, लेकिन यह सेगमेंट सिकुड़ जाएगा. भारतीय राइडर्स के लिए ये मोटरसाइकिलें लग्ज़री सामान नहीं हैं, बल्कि ये कारों का कुशल और किफायती विकल्प हैं, जो कम ईंधन खपत और कम मेंटेनेंस जैसे लाभ देती हैं. और यह भारत के फ्यूल इंपोर्ट को कम करने में भी मदद करती हैं.”
भारत पहले से ही दोपहिया वाहनों के मामले में चीन, जापान, यूरोप और अमेरिका से आगे है. अगर यूनिफॉर्म 18% GST लागू होता है तो भारत न सिर्फ पेट्रोल-डीजल टू-व्हीलर्स में, बल्कि इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स (EVs) में भी दुनिया का नेतृत्व कर सकता है. इससे बैटरी, सेमीकंडक्टर और एडवांस इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सहायक उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा और भारत नेक्स्ट जेनरेशन मोबिलिटी का ग्लोबल हब बन जाएगा.
FAQs:
Two-Wheelers पर GST की वर्तमान दर क्या है?
वर्तमान में, 350cc से कम इंजन क्षमता वाले टू-व्हीलर्स पर 18% और 350cc से ज़्यादा क्षमता वाले टू-व्हीलर्स पर 28% GST लागू है, जिसमें 3% सेस भी शामिल है.
Royal Enfield के CEO ने क्या मांग की है?
रॉयल एनफील्ड की मूल कंपनी आयशर मोटर्स के CEO सिद्धार्थ लाल ने सभी दोपहिया वाहनों पर एक समान 18% GST लागू करने की मांग की है.
एक समान GST दर क्यों ज़रूरी है?
सिद्धार्थ लाल के अनुसार, एक समान GST दर से भारतीय टू-व्हीलर उद्योग की वैश्विक लीडरशिप बनी रहेगी और विदेशी कंपनियों के लिए भारतीय बाज़ार में घुसपैठ करना मुश्किल होगा.

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