‘भोले बाबा’ के सत्संग के बाद मची भगदड़, 121 लोगों की मौत, जाने घटना के पीछे की सच्चाई
हाथरस में भोले बाबा के सत्संग के बाद भगदड़ मच गई और 121 लोगों की मौत हो गई। सत्संग कराने वाला बाबा भूमिगत हो गया है और 18 घंटे से फरार है। योगी सरकार ने हादसे के आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। लेकिन सवाल है कि ये भोले बाबा कौन हैं और यह बड़ा हादसा कैसे हो गया?
क्या हुआ था हादसे के दिन?
यूपी के हाथरस में 121 लोगों की मौत हो गई है। यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग के बाद भगदड़ मच गई। हादसे के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 24 घंटे में जांच रिपोर्ट मांगी है। खुद सीएम योगी आज हाथरस पहुंच रहे हैं। लखनऊ से हाथरस तक सख्त निर्देश दिए जा रहे हैं। सवाल है कि हाथरस में इतना बड़ा हादसा कैसे हो गया?
Hathras Stampede: कौन हैं बाबा भोले, जिनके सत्संग में मची भगदड़?
मौके पर अफसरों की दौड़-भाग
हाथरस हादसे के बाद मंत्री, डीजीपी से लेकर सारे अफसर मौके पर दौड़ रहे हैं। पहले नजर में ऐसा लग रहा है कि सिर्फ 40 पुलिसवालों के भरोसे ही हजारों की भीड़ को संभालने की कोशिश की गई थी। और किसी गंभीर हालात से निपटने के लिए स्वास्थ्य का इंतजाम तक नहीं था।
सत्संग खत्म होते ही भगदड़
सत्संग खत्म होते ही भगदड़ मच गई। एक के ऊपर एक सब दबकर मरने लगे। लोग कीचड़ में फंस गए और गिरने लगे। घटना मंगलवार दोपहर डेढ़ बजे की है। एक चश्मदीद के मुताबिक, ‘प्रभु जी’ उठकर चले गए और लोग दल-दल में फंस गए। जो नीचे गिर गए, वे उठ नहीं पाए और भीड़ ऊपर से गुजर गई। बच्चों तक को दबा दिया गया और बहुत लोग मारे गए।
कैसे हुई पूरी घटना…
देश को हिला देने वाली घटना: आध्यात्मिक नेता नारायण साकार हरि फरार
हाल ही में एक बड़ी घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। आध्यात्मिक नेता नारायण साकार हरि, जो भोले बाबा के नाम से प्रसिद्ध हैं, इस समय फरार हैं।
यह घटना फुलराई मैदान में हुई, जहां एक बड़े सत्संग का आयोजन किया गया था। इस सत्संग में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, और राजस्थान से 50,000 से ज्यादा अनुयायी शामिल हुए थे। जैसे ही सत्संग समाप्त हुआ, भक्त बाबाजी के पास जाकर उनके आशीर्वाद और उनके पैरों की पवित्र धूल लेने के लिए बढ़े।
भक्त एक गड्ढे से होकर गुजर रहे थे। चश्मदीदों के अनुसार, पहले कुछ लोगों को धक्का लगा और वे गिर गए। इसके बाद, जो लोग गिरे, वे उठ नहीं पाए और भीड़ उनके ऊपर से गुजरती चली गई। इसी दौरान एक बड़ा हादसा हो गया, जिससे लोग हताश और घबरा गए।
यह घटना देशभर में चर्चा का विषय बन गई है और लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं।
तत्काल एक्शन और एफआईआर दर्ज
घटना के बाद अफसर एक्शन मोड में आए और जांच के निर्देश दिए। तत्काल एफआईआर दर्ज की गई। शुरुआती जांच में पता चला कि भीड़ ज्यादा थी और कंट्रोल के लिए खास इंतजाम नहीं थे। पुलिस-प्रशासन ने जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।
लापता की तलाश, शवों की पहचान
अफरा-तफरी के बीच करीब 20 लोगों के लापता होने की खबर है। लापता व्यक्तियों की पहचान करने की कोशिश की जा रही है। बचाव अभियान जारी है।
परिवार के सदस्य क्या बोले…
इस घटना ने कई परिवारों को उनके सदस्य छीन लिए हैं। परिवार ने घटना के लिए बाबा को दोषी ठहराया है। नोएडा में काम करने वाले सुनील ने बताया कि उन्होंने इस घटना में अपनी मां को खो दिया है। हालांकि, मृतक के परिवार के एक अन्य सदस्य कर्पूरी चंद अलग सोचते हैं। वे कहते हैं कि घटना उस तरफ हुई जहां महिलाएं बैठी थीं। यह जांच का विषय है कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह बाबा की गलती है।
सत्संग स्थल के हालात…
सत्संग स्थल पर अब तबाही का मंजर है। लोगों का सामान बिखरा पड़ा है। कपड़े, शादी के कार्ड, आधार कार्ड, टिफिन बॉक्स और बैग चारों ओर बिखरे हुए हैं, जो इस घटना की गंभीरता बयां कर रहे हैं।
प्रत्यक्षदर्शी क्या बोले…
प्रत्यक्षदर्शियों ने घटना के बारे में सिलसिलेवार जानकारी दी है। प्रत्यक्षदर्शी कहते हैं कि 1 लाख से ज्यादा लोग जुटे थे। जब सत्संग समाप्त हुआ तो लोगों ने जाना शुरू कर दिया। मुख्य सड़क पर कई वाहन खड़े थे। जमीन फिसलन भरी थी और कीचड़ जमा था, जिससे लोग फिसल कर एक-दूसरे पर गिरने लगे।
सुरक्षा व्यवस्था की कमी…
घटना के बाद इंतजामों पर सवाल खड़े हो गए। घायलों को अस्पताल भेजने की व्यवस्था नहीं थी। सिकंदर राव सीएचसी के एक अधिकारी ने बताया कि जब घायल और मृतक आने लगे तो अस्पताल में डेढ़ घंटे तक बिजली नहीं थी। सिकंदर राव सीएचसी उन अस्पतालों में से एक है, जहां 92 शव लाए गए थे।
कौन हैं नारायण साकार हरि…
नारायण साकार हरि का असली नाम सूरजपाल सिंह है। वे उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में काम कर चुके हैं। जब उन्हें नौकरी में मन नहीं लगा, तो उन्होंने आध्यात्म की ओर रुख कर लिया। सूरजपाल का जन्म एटा जिले के बहादुर नगरी गांव में हुआ था। कुछ समय में ही, नारायण साकार हरि के बहुत सारे अनुयायी बन गए।
नारायण साकार हरि के सत्संग में खासकर महिलाएं गुलाबी कपड़े पहनकर आती हैं और उन्हें “भोले बाबा” के नाम से पुकारती हैं। भोले बाबा की पत्नी को “माताश्री” कहा जाता है। सत्संग के दौरान, दोनों एक साथ बैठते हैं और अक्सर आयोजनों में उनकी पत्नी भी उनके साथ रहती हैं।
बहादुर नगरी में उनका एक आश्रम है, जो अब भी सक्रिय है और वहां प्रतिदिन हजारों भक्त आते हैं। इसके अलावा, मैनपुरी के बिछवा में भी उनका एक आश्रम है, जो 30 एकड़ में फैला हुआ है। नारायण साकार हरि क्षेत्र में साप्ताहिक सभाएं आयोजित करते हैं, जिनमें बहुत सारी भीड़ उमड़ती है।
भविष्य के लिए संदेश…
इस घटना ने बड़े धार्मिक समारोहों में आयोजन और सुरक्षा उपायों पर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं। अब सिस्टम को कड़े नियमों और निगरानी पर जोर देने की जरूरत है।
जिम्मेदारी और जवाबदेही…
यूपी पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि घटना की जांच कई प्रमुख बिंदुओं पर केंद्रित होगी, जिसमें कार्यक्रम की अनुमति देने में स्थानीय अधिकारियों की जिम्मेदारी, सुरक्षा व्यवस्था की पर्याप्तता और आयोजकों की भूमिका शामिल है। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि लापरवाही बरतने वालों को जवाबदेह ठहराया जाएगा। जैसे-जैसे जांच सामने आती है, यह जरूरी है कि सबक सीखा जाए और भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के उपाय किए जाएं।
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News Source: Aajtak.in