Supreme Court का बड़ा फैसला – बहू को अपनी सास के घर में रहने का अधिकार है
News Desk: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को बहू के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया। 3-जजों की बेंच ने पुराने कोर्ट के फैसले को पलट दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत, बहू को अपने पति के माता-पिता के घर में रहने का अधिकार है।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत, बहू को अपने पति के माता-पिता के घर में रहने का अधिकार है। न्यायाधीश अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने तरुण बत्रा मामले में दो न्यायाधीशों वाली पीठ के फैसले को पलट दिया।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि घरेलू हिंसा की शिकार महिला की पत्नी को परिवार की आवासीय संपत्ति में और आवासीय घर में भी अधिकार मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट रूप से कहा है कि उत्तेजित पत्नी को अपनी सास की पैतृक और आम संपत्ति में रहने का कानूनी अधिकार होगा।
पति के पास अधिग्रहित संपत्ति यानी अलग से निर्मित घर पर अधिकार होगा। सुप्रीम कोर्ट ने घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 का हवाला देते हुए अपने फैसले में कई बातों को स्पष्ट किया।
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मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने दो सदस्यीय पीठ के फैसले को पलट दिया और 6-7 सवालों के जवाब भी दिए। पीठ ने 2006 के एसआर बत्रा और अन्य बनाम तरुण बत्रा के मामले की सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया।
Supreme Court says daughters-in-law have the right to stay in their in-laws’ house, under the Domestic Violence Act; overrules its earlier judgement pic.twitter.com/E0Uo09LLeN
— ANI (@ANI) October 15, 2020
गौरतलब है कि तरुण बत्रा मामले में दो न्यायाधीशों वाली पीठ ने कहा था कि कानून में बेटियां अपने पति के माता-पिता के स्वामित्व वाली संपत्ति में नहीं रह सकती हैं। अब तीन सदस्यीय पीठ ने तरुण बत्रा के फैसले को पलट दिया है और 6-7 सवालों के जवाब दिए हैं। अदालत ने कहा कि बहू को न केवल पति की अलग संपत्ति में, बल्कि साझा घर में भी अधिकार है।
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ज्ञात हो कि पहले दो सदस्यीय पीठ ने फैसला दिया था कि पत्नी के पास केवल अपने पति की संपत्ति पर अधिकार होता है। तरुण बत्रा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता निधि गुप्ता ने बहस की। उन्होंने कहा कि अगर बहू संयुक्त परिवार की संपत्ति है, तो मामले की समग्रता पर ध्यान देने की जरूरत है। उसे घर में निवास करने का भी अधिकार है। अदालत ने तब याचिका को स्वीकार कर लिया।
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