MP में लव जिहाद को रोकने के कानून में लव जिहाद शब्द नहीं होगा, इसे 10 सवालों से समझें।
न्यूज़ एजेंसी: मध्य प्रदेश (MP) सरकार लव जिहाद के मामलों में सख्त सजा के लिए फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट 2020 के नाम से एक कानून लाने जा रही है। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने स्पष्ट किया है कि सरकार ने मसौदा तैयार कर लिया है। यानी दिसंबर-जनवरी के विधानसभा सत्र में इसे पारित कर राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। संघ-भाजपा इस कानून के पक्ष में हैं, इसलिए यह दो से तीन महीने में लागू हो सकता है। हालाँकि, ऐसा नहीं है कि यह एक नया कानून है, बल्कि इसे बदलाव के साथ लाया जा रहा है।
ऐसा कानून 1968 में भी बनाया गया था
मध्य प्रदेश में 1968 में फ्रीडम ऑफ रिलिजन एक्ट के नाम से एक कानून है। सरकार के पास कानून में संशोधन का भी विकल्प था, लेकिन वह नया कानून लाने की बात कर रही है। गृह मंत्री ने भी यही दोहराया है। शिवराज सरकार के मंत्री इस कानून को लव जिहाद के खिलाफ बता रहे हैं, लेकिन लव जिहाद शब्द को कानूनी व्याख्या में कैसे शामिल किया जाएगा यह सवाल बना हुआ है।
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नए कानून में क्या होगा, जो पुराने कानून में नहीं था।
सरकार नए कानून में सबसे बड़ा बदलाव क्या ला रही है?
धर्म परिवर्तित करने के लिए, कलेक्टर से पहले अनुमति लेना आवश्यक है। पहले ऐसा नहीं था।
जबरन या धोखे से धर्म परिवर्तित करने के मामले में कई सहयोगी हैं, उनका क्या होगा?
अब तक, केवल धर्म परिवर्तन करने वालों को आरोपी माना जाता था। नए कानून के तहत, माता-पिता, भाई-बहन और विवाहित और मजबूर सहायकों और अन्य सहायकों के रिश्तेदारों को भी जबरन या फिर धर्मांतरण के जरिए आरोपी बनाया जाएगा।
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क्या नए कानून के बाद दूसरे धर्म में शादी नहीं होगी?
नया कानून विवाह या धर्मांतरण पर रोक नहीं लगाता है। नया कानून लालच, ज़बरदस्ती, प्रलोभन, धमकी, धोखाधड़ी या झूठ के साथ शादी करने के खिलाफ है।
बदलाव का कारण लव जिहाद बताया जा रहा है, क्या यह शब्द कानून का हिस्सा होगा?
कानून ऐसे शब्दों की व्याख्या नहीं करता है। हां, शादी करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज किया जा सकता है और फिर जबरदस्ती, धोखाधड़ी, धमकी, प्रलोभन और अन्य तरीकों से झूठ बोलकर परिवर्तित किया जा सकता है।
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क्या यह किसी धर्म विशेष पर लागू होगा या हर कोई दायरे में आएगा?
नया कानून विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाया जा रहा है जो धर्मांतरण के लिए शादी करते हैं। इसमें रूपांतरण के बारे में स्पष्ट दिशानिर्देश होंगे। सभी धर्मों के लोग इसके दायरे में आएंगे।
क्या किसी शिकायतकर्ता को इससे कोई राहत मिलेगी?
पीड़ित सीधे थाने में एफआईआर करवा सकेंगे। पुलिस तत्काल कार्रवाई कर सकेगी।
क्या पुराना कानून कमजोर था?
पुराने कानून में, अपराध जमानती है। सजा का प्रावधान भी सख्त नहीं है। नए कानून में पुलिस स्टेशन की जगह कोर्ट से जमानत मिल सकेगी।
क्या ऐसे मामलों के अभियुक्तों को अधिक सजा दी जाएगी?
नए कानून में गैर-जमानती अपराधों के लिए 5 साल की सजा होगी। पहले यह केवल 2 साल का था। 10 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता था।
क्या देश के अन्य राज्यों में भी ऐसा कानून है?
मध्य प्रदेश से पहले उत्तर प्रदेश में यह कानून बनाने पर काम शुरू हो गया है, जबकि हरियाणा में यह विचाराधीन है। अन्य राज्यों में अभी भी पुराने कानून हैं। वहां भी मांग बढ़ रही है।
क्या कानून बनाने में कोई बाधा हो सकती है?
अभी तक ऐसा नहीं लगता है। विधानसभा से पारित होने के बाद, यह राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए जाएगा। कानून पारित करने में ज्यादा अड़चन नहीं आएगी।