सारांश:
पेरिस में महिलाओं ने यौन हिंसा और लैंगिक असमानता के खिलाफ अनोखा प्रदर्शन किया। बड़ी संख्या में महिलाएं लूवर पिरामिड के सामने अर्धनग्न होकर जमा हुईं। उनके नारे “महिलाओं के खिलाफ युद्ध बंद करो” और “वुमन लाइफ फ्रीडम” ने इस आंदोलन को और मजबूती दी।
क्यों हुआ यह प्रदर्शन?
पेरिस की सड़कों पर अर्धनग्न होकर प्रदर्शन करने वाली महिलाओं का उद्देश्य स्पष्ट था— sexual violence और gender inequality के खिलाफ आवाज उठाना। यह प्रदर्शन लूवर पिरामिड के सामने हुआ, जो दुनिया भर में एक प्रतिष्ठित स्थल है। महिलाओं ने अपनी छाती खोलकर विरोध जताया और “महिलाओं के खिलाफ युद्ध बंद करो” जैसे नारे लगाए।
पुरुष भी बने सहायक
इस आंदोलन की सबसे खास बात यह रही कि पुरुषों ने भी इसमें बढ़-चढ़कर भाग लिया। वे महिलाओं के साथ खड़े होकर उनके अधिकारों का समर्थन कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने ‘वुमन लाइफ फ्रीडम’ के पोस्टर लहराए और जेंडर असमानता के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की। यह प्रदर्शन सिर्फ पेरिस तक सीमित नहीं रहा; फ्रांस के अन्य शहरों में भी इसी तरह की आवाजें उठाई गईं।
गिसेले पेलिकॉट का मामला: यौन हिंसा का ज्वलंत मुद्दा
प्रदर्शन का एक महत्वपूर्ण केंद्र बिंदु गिसेले पेलिकॉट थीं। गिसेले एक ऐसी महिला हैं जिन्हें उनके पूर्व पति और 12 से अधिक पुरुषों ने नशीला पदार्थ देकर बलात्कार किया। यह घटना फ्रांस में यौन हिंसा के खिलाफ गुस्से की आग को और भड़काने का कारण बनी। प्रदर्शनकारियों ने गिसेले के लिए न्याय की मांग करते हुए यह साफ किया कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए कठोर कानूनों की आवश्यकता है।
अमेरिका का कनेक्शन
इस प्रदर्शन में अमेरिकी राजनीति का संदर्भ भी शामिल था। डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता में वापसी और उनके द्वारा महिलाओं के अधिकारों पर दिए गए बयानों से प्रदर्शनकारियों में चिंता बढ़ी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं के अधिकारों का संरक्षण किसी एक देश का नहीं, बल्कि एक वैश्विक मुद्दा है।
यौन हिंसा: कोई भी हो सकता है अपराधी
प्रदर्शन में ‘नूस टाउट्स’ फेमिनिस्ट ग्रुप की सदस्य मायले नोयर ने कहा,
“हिंसा करने वाला व्यक्ति हमारा भाई, पिता, सहकर्मी या बॉस कोई भी हो सकता है। यह पहचानना मुश्किल है कि कौन अपराधी हो सकता है।”
महिलाओं ने यह मांग की कि सरकार gender equality को बढ़ावा देने और यौन हिंसा के खिलाफ प्रभावी कदम उठाने के लिए ठोस योजनाएं बनाए।
प्रदर्शन के व्यापक प्रभाव
यह प्रदर्शन केवल एक घटना भर नहीं था, बल्कि एक वैश्विक मुद्दे की ओर इशारा करता है। फ्रांस में sexual violence और लैंगिक भेदभाव के खिलाफ कई वर्षों से संघर्ष चल रहा है। आंकड़ों के अनुसार, फ्रांस में हर साल हजारों महिलाओं को यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। यह आंदोलन इस मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने और समाज में बदलाव लाने के लिए एक बड़ा प्रयास है।
FAQs
Q1. पेरिस के इस प्रदर्शन का उद्देश्य क्या था?
Ans: यौन हिंसा, लैंगिक भेदभाव, और महिलाओं के प्रजनन अधिकारों पर ध्यान आकर्षित करना।
Q2. क्या यह प्रदर्शन सिर्फ पेरिस तक सीमित था?
Ans: नहीं, फ्रांस के कई अन्य शहरों में भी इसी तरह के विरोध प्रदर्शन हुए।
Q3. गिसेले पेलिकॉट के मामले ने प्रदर्शन पर क्या असर डाला?
Ans: इस मामले ने आंदोलन को अधिक उग्र और गंभीर बना दिया, जिससे यौन हिंसा के खिलाफ गुस्सा भड़क उठा।
Q4. क्या प्रदर्शन में पुरुषों ने भाग लिया?
Ans: हां, पुरुषों ने महिलाओं के साथ कदम से कदम मिलाकर उनका समर्थन किया।
Q5. इस प्रदर्शन का फ्रांस की सरकार पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
Ans: यह प्रदर्शन सरकार पर gender equality और यौन हिंसा के खिलाफ सख्त कदम उठाने का दबाव बनाएगा।
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