तुलसी जी एक पौधा नहीं बल्कि जीवन का हिस्सा हैं… जानें Tulsi से जुड़ें रहस्य!
1. तुलसी जी को कभी भी नाखूनों से नहीं तोड़ना चाहिए।
2. शाम के बाद तुलसी जी को छूना नहीं चाहिए।
3. रविवार को तुलसी पत्र नहीं तोड़ देना चाहिए.
4. जो स्त्री तुलसी जी की पूजा करती है। उनका सौभाग्य अखण्ड रहता है । उनके घर सुख शांति व समृद्धि का वास रहता है घर का आबोहवा हमेशा ठीक रहता है।
5. द्वादशी के दिन तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए।
6. शाम के बाद तुलसी जी लीला करने जाती हैं।
7. तुलसी जी कोई पेड़ नहीं है! यह राधा जी का ही रूप है.
8. तुलसी के पत्तों को कभी भी चबाना नहीं चाहिए।
– धार्मिक ग्रंथों में भी तुलसी के पौधे का महत्व बखूबी बताया गया है। तुलसी के पौधे को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे से जुड़ी कई आध्यात्मिक बातें हैं। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार तुसली भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। तुलसी के पत्तों के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है। , क्योंकि भगवान विष्णु का प्रसाद तुलसी दल के बिना पूरा नहीं होता है। , प्रतिदिन तुलसी की पूजा करना और पौधे को जल चढ़ाना हमारी प्राचीन परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि जिस घर में रोजाना तुलसी की पूजा होती है, वहां सुख-समृद्धि और सौभाग्य बना रहता है। कभी कोई कमी महसूस न हो.
– जिस घर में तुलसी का पौधा होता है वहां कलह और अशांति दूर हो जाती है। परिवार पर माता की विशेष कृपा बनी रहती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी के पत्तों के सेवन से देवी-देवताओं की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है। जो मनुष्य प्रतिदिन तुलसी का सेवन करता है, उसके शरीर को अनेक चान्द्रायण व्रतों के फलस्वरूप पवित्रता प्राप्त होती है।
– पानी में तुलसी के पत्ते डालकर स्नान करना तीर्थों में स्नान करके पवित्र होने के समान है। ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी ऐसा करता है उसे सभी यज्ञों में बैठने का अधिकार मिलता है।
– तुलसी के बिना भगवान विष्णु का भोग अधूरा माना जाता है। इसका कारण यह बताया जाता है कि तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है।
– कार्तिक माह में तुलसी जी और शालिग्राम का विवाह किया जाता है। कार्तिक माह में तुलसी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
शास्त्रों में कहा गया है कि तुलसी की पूजा और उसके पत्ते तोड़ने के नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है।
तुलसी पूजा के नियम
– तुलसी का पौधा हमेशा घर के आंगन में लगाना चाहिए। आज के समय में जगह की कमी के कारण तुलसी का पौधा बालकनी में भी लगाया जा सकता है।
– रोज सुबह तुलसी के पौधे को साफ करके जल दें और उसकी परिक्रमा करें।
– शाम के समय तुलसी के पौधे के नीचे घी का दीपक जलाएं, शुभ होता है।
– भगवान गणेश, मां दुर्गा और भगवान शिव को तुलसी न चढ़ाएं.
– तुलसी का पौधा आप कभी भी लगा सकते हैं लेकिन कार्तिक माह में तुलसी का पौधा लगाना सर्वोत्तम होता है।
– तुलसी का पौधा ऐसी जगह लगाएं जहां पूरी तरह साफ-सफाई हो।
– तुलसी के पौधे को कांटेदार पौधों के साथ न रखें।
तुलसी के पत्ते तोड़ने के कुछ विशेष नियम हैं –
– तुलसी के पत्ते हमेशा सुबह के समय ही तोड़ने चाहिए। अगर आप तुलसी का प्रयोग करना चाहते हैं तो सुबह के समय पत्ते तोड़कर रख लें क्योंकि तुलसी के पत्ते कभी बासी नहीं होते हैं।
– अनावश्यक रूप से तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ना चाहिए, यह इसका अपमान है।
– तुलसी के पत्ते तोड़ते समय साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें।
– तुलसी के पौधे को कभी भी गंदे हाथों से न छुएं।
– तुलसी के पत्ते तोड़ने से पहले उसे प्रणाम करना चाहिए और इस मंत्र का जाप करना चाहिए- महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधी व्याधि हर नित्यम, तुलसी त्वं नमोस्तुते।
– अनावश्यक रूप से तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ना चाहिए, यह इसका अपमान है।
– रविवार, चंद्र ग्रहण और एकादशी के दिन तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए।
“तुलसी के पेड़ को नहीं जानता.
गाय को मवेशी मत जानो.
गुरु मनुज नहीं जानते।
ये तीन नन्दकिशोर।
दूसरे शब्दों में-
तुलसी को कभी पेड़ मत समझो, गाय को जानवर मत समझो और गुरु को साधारण मनुष्य मत समझो, क्योंकि ये तीनों ही ईश्वर के साक्षात रूप हैं।
तुलसी पूजा का महत्व
हिंदू धर्म में तुलसी अत्यंत पवित्र पौधों में से एक हैं। नियमित रूप से तुलसी पूजन करने और रोज तुलसी के दर्शन करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है वहां त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश विराजते हैं। मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए तुलसी की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
तुलसी माता का स्तुति मंत्र
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः,
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
मां तुलसी का पूजन मंत्र
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।
तुलसी माता का ध्यान मंत्र
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।
तुलसी माता की आरती
जय जय तुलसी माता
सब जग की सुख दाता, वर दाता
जय जय तुलसी माता ।।
सब योगों के ऊपर, सब रोगों के ऊपर
रुज से रक्षा करके भव त्राता
जय जय तुलसी माता।।
बटु पुत्री हे श्यामा, सुर बल्ली हे ग्राम्या
विष्णु प्रिये जो तुमको सेवे, सो नर तर जाता
जय जय तुलसी माता ।।
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वन्दित
पतित जनो की तारिणी विख्याता
जय जय तुलसी माता ।।
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में
मानवलोक तुम्ही से सुख संपति पाता
जय जय तुलसी माता ।।
हरि को तुम अति प्यारी, श्यामवरण तुम्हारी
प्रेम अजब हैं उनका तुमसे कैसा नाता
जय जय तुलसी माता ।।
ओम नमः भगवते वासुदेवाय नमः, जय श्री कृष्ण, जय गोविंदा
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