Waste-to-Energy: हर दिन 1000 टन कचरे से 15 मेगावाट बिजली का उत्पादन
Electricity from waste। जयपुर हैरिटेज निगम का एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट, जिसमें हर दिन 1000 टन कचरे से 15 मेगावाट बिजली बनाने की योजना है, अब हकीकत बनने जा रही है। यह प्रोजेक्ट न केवल शहर को साफ रखने में मदद करेगा, बल्कि देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
बड़ी फंडिंग और भारी निवेश से प्रोजेक्ट होगा साकार
इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी जिंदल अर्बन वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी को सौंपी गई है।
- जिंदल ग्रुप ने इसमें करीब 350 करोड़ रुपए का निवेश करने का वादा किया है।
- इसके अलावा, पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने इस परियोजना के लिए 192 करोड़ रुपए की ऋण सुविधा प्रदान की है।
इस मजबूत फंडिंग और निवेश से यह सुनिश्चित किया गया है कि प्रोजेक्ट समय पर और बिना किसी रुकावट के पूरा हो सके।
कैसे काम करेगा यह प्रोजेक्ट?
यह प्रोजेक्ट जयपुर हैरिटेज निगम द्वारा हर दिन 1000 टन कचरे की आपूर्ति पर आधारित है।
- कचरे का इस्तेमाल बिजली उत्पादन में किया जाएगा।
- हर दिन लगभग 15 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा।
- निगम को इसके बदले 66 रुपए प्रति टन की रॉयल्टी और हर महीने 20 लाख रुपए का राजस्व मिलेगा।
कचरे से जुड़े तथ्य और संभावनाएं
यह प्रोजेक्ट केवल स्वच्छता सुधारने तक सीमित नहीं है। इसके व्यापक फायदे हैं:
- पर्यावरण संरक्षण: कचरे का सही तरीके से निपटान होगा, जिससे प्रदूषण कम होगा।
- ऊर्जा संकट का समाधान: 15 मेगावाट बिजली का उत्पादन बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने में मदद करेगा।
- आर्थिक लाभ: जयपुर नगर निगम को स्थायी आय स्रोत मिलेगा।
- टेक्नोलॉजी का उपयोग: यह प्रोजेक्ट आधुनिक तकनीक पर आधारित है, जो कचरे को कुशलता से संसाधित करती है।
एमओयू साइनिंग: एक बड़ी उपलब्धि
निगम मुख्यालय में हुए एमओयू साइनिंग इवेंट के दौरान निगम आयुक्त अरुण कुमार हसीजा, जिंदल ग्रुप, और पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अधिकारी मौजूद थे।
इन सभी ने इस प्रोजेक्ट के लिए अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की। यह परियोजना जयपुर के लिए स्वच्छता और ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगी।
कचरे में छिपी अनमोल ऊर्जा
आज के समय में, कचरा केवल एक समस्या नहीं है बल्कि एक संसाधन भी है।
- इस प्रोजेक्ट से न केवल शहर को साफ रखने में मदद मिलेगी, बल्कि यह साबित करेगा कि सही तकनीक और प्रयास से कचरे को ऊर्जा में बदला जा सकता है।
- यह पहल वेस्ट-टू-एनर्जी (Waste-to-Energy) की दिशा में भारत के लिए एक नई शुरुआत है।
भविष्य में अन्य शहरों के लिए मॉडल प्रोजेक्ट
यह परियोजना केवल जयपुर तक सीमित नहीं रहेगी।
- भविष्य में इसे अन्य शहरों में भी लागू किया जा सकता है।
- यह प्रोजेक्ट भारत में बढ़ती कचरा प्रबंधन और ऊर्जा उत्पादन की समस्याओं के समाधान के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण बन सकता है।
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