क्या है DRDO की कोरोना दवा 2DG, जानिए कैसे करती है काम; इसे संजीवनी क्यों कहा जा रहा है?
एजेंसियां। भारत में जारी कोरोना के खिलाफ जंग में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की नई दवा उम्मीद की किरण बनकर आई है। आइए जानते हैं कि डीजी 2 डीजी की दवा क्या है, यह कैसे काम करती है और इसे जीवनरक्षक क्यों कहा जा रहा है।
भारत ने कोरोना मरीजों के इलाज के लिए 2 डीजी दवा लॉन्च की है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के नए शोध ने कोरोना के खिलाफ जंग में उम्मीद की किरण लाई है। इस दवा का नाम 2-Doxy-D-Glucose (‘2 DG’) है। डीआरडीओ द्वारा विकसित कोरोना की इस 2-डीजी (2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज) दवा को देश में ‘गेमचेंजर’ और ‘संजीवनी’ भी कहा जा रहा है।
यह दवा कोरोना मरीजों के लिए काफी कारगर मानी जा रही है। माना जा रहा है कि यह दवा कोरोना के मरीजों को तेजी से ठीक होने और ऑक्सीजन पर उनकी निर्भरता को कम करने में मदद करेगी। इस दवा के इस्तेमाल से कोरोना मरीजों की ऑक्सजीन पर निर्भरता काफी कम हो जाती है। देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच यह दवा मरीजों के लिए उम्मीदें जगाने वाली है.
Handed over the first batch of 2-DG anti Covid drug to the Union Health Minister @drharshvardhan after it was released today.
This 2-DG drug developed by @DRDO_India & DRL is a perfect example of India’s scientific prowess and a milestone in the efforts towards self-reliance. pic.twitter.com/oiuR2VVr2I
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) May 17, 2021
दवा किसने और कहाँ बनाई?
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की इनमास लैब के वैज्ञानिकों ने कोरोना की दवा ‘2डीजी’ (Corona drug ‘2DG’) डॉ रेड्डी लैब्स के साथ मिलकर इस दवा का विकास किया है। मरीजों पर इस दवा के इस्तेमाल को डीसीजीआई ने भी मंजूरी दे दी है। DRDO की प्रयोगशाला INMAS द्वारा दवा 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-DG) का एक एंटी-कोविड -19 चिकित्सीय अनुप्रयोग विकसित किया गया है।
हालांकि इस नई दवा को लेकर लोगों के मन में कई सवाल हैं, खासकर लोग सोच रहे होंगे कि यह दवा कैसे खाई जाएगी, कितनी मात्रा में ली जाएगी। तो आइए इन सवालों के जवाब देते हैं।
यह दवा कैसे खाई जाती है?
कोरोना की यह दवा एक पाउच में पाउडर के रूप में आती है, जो पानी में घुल जाती है। यह कोरोना वायरस से संक्रमित कोशिकाओं में जमा हो जाता है और वायरल संश्लेषण और ऊर्जा उत्पादन को रोककर वायरस को शरीर में बढ़ने से रोकता है। वायरस से संक्रमित कोशिकाओं में जाने से यह दवा बेजोड़ हो जाती है।
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यह कैसे काम करती है?
इस दवा से देश में कीमती जान बचाने की उम्मीद है। इससे कोरोना मरीजों के अस्पताल में बिताने वाले दिनों की संख्या में कमी आने की उम्मीद है। अब तक हुए शोध के मुताबिक यह दवा मरीजों को तेजी से ठीक होने में मदद करती है। यह दवा कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन पहुंचाने पर निर्भरता कम करती है। दरअसल, यह दवा ग्लूकोज का सब्सट्रेट है। कोरोना वायरस अपनी ऊर्जा के लिए रोगी के शरीर से ग्लूकोज लेता है, लेकिन ग्लूकोज के धोखे में वह इस दवा का उपयोग करने लगता है, जिससे वायरस को ऊर्जा मिलना बंद हो जाती है और उनका वायरल संश्लेषण रुकने लगता है। इस तरह नए वायरस का बनना बंद हो जाता है और बाकी वायरस भी मरने लगते हैं।
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यह दवा कब और कितनी मात्रा में ली जाती है?
यह दवा पाउच (पाउच) में पाउडर के रूप में मिलेगी, जिसे पानी में मिलाकर मुंह से रोगी को दिया जाएगा। हालांकि, यह दवा कितनी और कब तक दी जानी चाहिए, यह तय करना डॉक्टरों पर छोड़ दिया गया है। डॉक्टर मरीज की उम्र, मेडिकल कंडीशन आदि की जांच करके ऐसा करेंगे। बता दें कि डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को चेतावनी दी गई है कि कोरोना से बचने के नाम पर या बिना डॉक्टर की सलाह के ज्यादा मात्रा में इस दवा का सेवन न करें.
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