Aurangzeb Controversy: गलत धारणाएँ फैलाई जा रही हैं – औरंगजेब विवाद पर तबरेज राणा का बयान

Aurangzeb Controversy
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Aurangzeb Controversy: गलत धारणाएँ फैलाई जा रही हैं – औरंगजेब विवाद पर तबरेज राणा का बयान

औरंगजेब को लेकर चल रहे विवाद पर मुनव्वर राणा के बेटे तबरेज राणा की प्रतिक्रिया

मशहूर शायर मुनव्वर राणा के बेटे तबरेज राणा ने औरंगजेब को लेकर फैल रही नकारात्मक बातों पर अपनी राय रखी है। उनका कहना है कि इतिहास को एकतरफा तरीके से देखना सही नहीं है। हालांकि, उन्होंने अबू आजमी के बयान का समर्थन नहीं किया, लेकिन औरंगजेब को पूरी तरह दोषी ठहराने का विरोध किया।

औरंगजेब विवाद: बढ़ता विरोध और समर्थन

देशभर में औरंगजेब को लेकर दिए गए बयानों के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं। कई जगहों पर पुतले जलाए जा रहे हैं, जबकि कुछ लोग उनका समर्थन भी कर रहे हैं। इस बीच तबरेज राणा ने एक बयान देकर इस बहस को और गहरा कर दिया। उन्होंने कहा कि “आधा सच पूरे झूठ से ज्यादा खतरनाक होता है।”

“औरंगजेब को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है”

तबरेज राणा का कहना है कि इतिहास में औरंगजेब को जैसा दिखाया जा रहा है, वह पूरी तरह से सही नहीं है। उन्होंने कहा, “मैंने अपने वालिद (मुनव्वर राणा) से सुना है और पुरानी किताबों में पढ़ा है कि औरंगजेब को लेकर जो नेगेटिविटी फैलाई जा रही है, वह पूरी तरह सही नहीं है।”

तबरेज ने आगे कहा कि औरंगजेब को केवल नकारात्मक रूप में दिखाया जा रहा है, जबकि उनके शासन में कई सकारात्मक पहलू भी थे। उन्होंने दावा किया कि इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है।

“औरंगजेब ने सिर्फ एक मंदिर तोड़ा था”

तबरेज राणा ने यह भी कहा कि औरंगजेब ने केवल एक मंदिर तुड़वाया था और वह भी इसलिए क्योंकि वहां कुछ गलत गतिविधियाँ हो रही थीं। उनके अनुसार, औरंगजेब को इस बारे में सूचना दी गई थी, जिसके आधार पर उन्होंने वह निर्णय लिया।

इसके अलावा, उन्होंने दावा किया कि औरंगजेब के शासन में कई मस्जिदें भी तुड़वाई गई थीं, लेकिन इसका उल्लेख इतिहास की किताबों में नहीं किया जाता। उनका कहना है कि औरंगजेब एक हिंदुस्तानी थे, जो भारत में ही पैदा हुए और यहीं मरे।

“मेरे पास सबूत हैं, इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है”

तबरेज राणा का दावा है कि उनके पास ऐसी किताबें हैं, जिनमें इस मामले से जुड़े तथ्य दर्ज हैं। उन्होंने हमारी टीम को अपने घर की लाइब्रेरी में आने का निमंत्रण दिया, ताकि वे इन तथ्यों को देख सकें। उन्होंने कहा कि उनके पिता की लाइब्रेरी में ऐसे कई ऐतिहासिक संदर्भ उपलब्ध हैं, जो औरंगजेब को लेकर फैलाई जा रही भ्रांतियों को दूर कर सकते हैं।

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“हर शासक गलतियाँ करता है”

तबरेज राणा ने यह स्वीकार किया कि औरंगजेब से गलतियाँ हुई थीं, लेकिन यह भी कहा कि कोई भी शासक पूर्ण रूप से सही नहीं होता। उन्होंने सवाल किया, “कौन सा शासक है, जो हर निर्णय सही लेता है? हुकूमत चलाने वाले हमेशा सही नहीं होते।”

उन्होंने कहा कि इस विवाद का राजनीतिक फायदा उठाया जा रहा है। हर राजनीतिक दल अपने-अपने तरीके से इसे भुना रहा है।

“अबू आजमी को विलेन बनाया जा रहा है”

जब उनसे अबू आजमी के बयान और उसकी सजा पर सवाल किया गया, तो तबरेज ने कहा कि उन्हें विलेन बना दिया गया है। उन्होंने कहा कि अदालत अपना फैसला लेगी, लेकिन उन्हें केवल उनके बयान के कारण दोषी बताया जा रहा है।

तबरेज ने आगे कहा, “हम दबी-कुचली कौम हैं, हमारे बयान ही निशाने पर आ जाते हैं, जबकि दूसरे लोग कुछ भी कह देते हैं, तब कोई आपत्ति नहीं होती।”

“बोलने की आज़ादी है, लेकिन उसके बाद की नहीं”

तबरेज राणा ने कहा कि इस देश में बोलने की आज़ादी तो है, लेकिन उसके बाद क्या होगा, इसकी कोई आज़ादी नहीं है। उन्होंने अपनी बात को एक शेर के माध्यम से प्रस्तुत किया:

“शायद यह ज़र्फ़ है जो खामोश हूं अब तक, वरना तो तेरे ऐब भी मालूम हैं सारे। सब जुर्म मेरी जात से मंसूब हुए, क्या मेरे सिवा शहर में मासूम हैं सारे?”

उन्होंने कहा कि केवल कुछ लोगों को ही निशाना बनाया जाता है, जबकि दूसरे लोगों के बयान पर कोई ध्यान नहीं देता।

निष्कर्ष

तबरेज राणा का बयान औरंगजेब को लेकर जारी बहस को एक नया मोड़ देता है। उनका मानना है कि इतिहास को एकतरफा तरीके से नहीं देखा जाना चाहिए और तथ्यों को सही संदर्भ में समझा जाना चाहिए। उन्होंने इस मामले में अपनी राय रखते हुए यह भी कहा कि किसी भी शासक को पूरी तरह से सही या गलत नहीं कहा जा सकता। इस विवाद पर उनकी राय से यह साफ हो जाता है कि इतिहास की व्याख्या अलग-अलग नजरियों से की जा सकती है।

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