Dharm Aastha: काली माता के इस मंदिर का 200 साल पुराना चमत्कारी मटका! कभी खराब नहीं होता इसका पानी
Navratri 2024: पुजारी संतोष बताते हैं कि पुराने समय में कालीबाड़ी मंदिर में बकरे की बलि दी जाती थी। हालांकि, अब यह परंपरा बंद हो चुकी है, और बकरे की जगह पेठे की बलि दी जाती है।
आगरा: आगरा के नूरीदरबाजे इलाके में स्थित कालीबाड़ी मंदिर, काली माता का 200 साल से भी पुराना ऐतिहासिक मंदिर है। इसे आगरा में बंगालियों द्वारा स्थापित एकमात्र काली माता का मंदिर माना जाता है। मंदिर से कई चमत्कारी घटनाएं जुड़ी हुई हैं। यहां के पुजारी बताते हैं कि मंदिर की स्थापना के समय एक घट (मटका) प्राप्त हुआ था, जिसमें आज भी पानी भरा हुआ है। सबसे खास बात यह है कि इस मटके का पानी कभी खराब नहीं होता। ऐसा दावा किया जाता है कि यह पानी मंदिर की स्थापना के समय से ही इसमें मौजूद है, जो आज भी देवी मां की प्रतिमा के चरणों में रखा हुआ है।
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200 साल पुराना है कालीबाड़ी माता का मंदिर
मंदिर की स्थापना से जुड़ी जानकारी साझा करते हुए डॉ. ए. के. भट्टाचार्य, जो पेशे से ईएनटी सर्जन हैं, बताते हैं कि यह मंदिर उनके पूर्वजों ने 200 साल से भी पहले बनवाया था। उनके पूर्वज स्वर्गीय द्वारकानाथ भट्टाचार्य, जो उस समय बंगाल में रहते थे, ने इस मंदिर की नींव रखी थी। बंगाल में जब प्लेग जैसी गंभीर बीमारी फैली थी, तब द्वारकानाथ जी ने आगरा में यमुना के किनारे आकर बसने का निर्णय लिया। उनके रहने के स्थान के पास एक मंदिर था, जिसे अंग्रेजों ने तुड़वा दिया। इसके बाद द्वारकानाथ जी कालीबाड़ी इलाके में आ गए, और जहां आज काली माता का मंदिर स्थित है, वहीं रहने लगे।
एक रात द्वारकानाथ जी को सपने में मां काली ने दर्शन दिए और बताया कि उनकी मूर्ति यमुना किनारे स्थित है। इसके बाद द्वारकानाथ जी ने मां की मूर्ति को अपने साथ लाकर इस मंदिर की स्थापना की। साथ ही, मंदिर के साथ मिले मटके को भी लेकर आए, जो आज भी यहां मौजूद है और जिसका पानी आज तक खराब नहीं हुआ है।
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पहले मां को अर्पित की जाती थी बकरे की बलि
पुजारी संतोष बताते हैं कि पुराने समय में कालीबाड़ी मंदिर में बकरे की बलि दी जाती थी, जो अब बंद हो गई है। वर्तमान में बकरे की बलि की जगह पेठे की बलि दी जाती है। मान्यता है कि अगर कोई भक्त सात शनिवार लगातार यहां सच्चे मन से काली माता के दर्शन करता है, तो उसकी शनि की दशा हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। इस मंदिर को चमत्कारी मंदिर माना जाता है, और हर साल हजारों की संख्या में भक्त यहां आते हैं, खासकर शनि की दशा को ठीक करने के लिए।
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मंदिर से जुड़ी अन्य जानकारी
मंदिर की खासियत सिर्फ मटका ही नहीं है, बल्कि यहां हर वर्ष विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन भी किए जाते हैं। विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है। यह मंदिर आगरा के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है और यहां बंगाली समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी देखा जाता है।
यहां की अद्वितीय परंपराओं के चलते हर साल हजारों श्रद्धालु यहां काली माता के दर्शन करने आते हैं। माना जाता है कि काली माता के आशीर्वाद से शनि दोष और अन्य ग्रहों के प्रभावों से मुक्ति मिलती है। भक्तों का यह भी विश्वास है कि यहां आने से जीवन में आने वाली बाधाओं का नाश होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
चमत्कारी मटके का रहस्य
मटके के पानी के चमत्कार की बात मंदिर से जुड़ी सबसे प्रमुख कहानियों में से एक है। इसे मंदिर की स्थापना के समय से देवी मां का आशीर्वाद माना जाता है। यह पानी सालों से मंदिर में उसी तरह मौजूद है, और इसे कभी बदला नहीं गया। स्थानीय लोगों का विश्वास है कि इस मटके में भरा पानी शुद्ध और पवित्र है, और इसके सेवन से शारीरिक और मानसिक शांति मिलती है।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी ज्योतिषाचार्यों और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। किसी भी प्रकार की घटना या स्थिति केवल संयोग हो सकती है। इस जानकारी का Talkaaj व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है।
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ब्यूरो रिपोर्ट, टॉकआज मीडिया (Talkaaj Media)
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