Dharm Aastha: हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं और देवस्थल की परिक्रमा क्यों की जाती है? जानिए कारण!

5/5 - (1 vote)

Dharm Aastha: हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं और देवस्थल की परिक्रमा क्यों की जाती है? जानिए कारण!

TalkAaj Dharm Aastha Desk :- क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि पूजा के बाद देवी-देवताओं की मूर्तियों की परिक्रमा क्यों की जाती है?

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार देवी-देवताओं की पूजा और मंत्र जाप से जीवन में शांति और सुख-समृद्धि आती है। मंदिर में पूजा-पाठ के कई तरह के नियम होते हैं, जिसमें भगवान के दर्शन के बाद परिक्रमा भी की जाती है। क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि पूजा के बाद देवी-देवताओं की मूर्तियों की परिक्रमा क्यों की जाती है? आइए जानते हैं मंदिर में भगवान की पूजा-अर्चना के बाद देव प्रतिमाओं की परिक्रमा करने के बारे में शास्त्र क्या कहते हैं…

मंदिर या देवी-देवताओं की परिक्रमा क्यों की जाती है?

पूजा करने के बाद हम देवता या पूजा स्थल की परिक्रमा करते हैं। लेकिन कई लोगों के मन में ये सवाल भी उठता है कि हम ऐसा क्यों करते हैं? तो बता दें कि देवी-देवताओं की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण छिपे हुए हैं। बता दें कि परिक्रमा को प्रदक्षिणा भी कहा जाता है। जिसका अर्थ दाहिनी ओर मुड़ना भी है। बता दें कि जिस दिशा में घड़ी घूमती है, मनुष्य को उसी दिशा में परिक्रमा करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि जब कोई व्यक्ति उत्तरी गोलार्ध से दक्षिणी गोलार्ध की ओर बढ़ता है, तो वह विशेष प्राकृतिक शक्तियों से प्रभावित होता है। ऐसा माना जाता है कि देवस्थान की परिक्रमा करने से व्यक्ति के अंदर मौजूद नकारात्मक शक्तियां खत्म हो जाती हैं और देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। लेकिन इनसे जुड़ी कुछ अहम बातें जानना बेहद जरूरी है।

यह भी पढ़े | Hanuman Ji को China वाले Monkey King के नाम से पूजते हैं? क्या Monkey king हनुमान जी के अवतार है जानिए पूरी जानकारी?

इसलिए भगवान की परिक्रमा लगती है

वैदिक शास्त्रों के अनुसार जिस स्थान या मंदिर में मूर्ति प्रतिष्ठित की गई हो, उस स्थान के केंद्र बिंदु से लेकर मूर्ति के कुछ मीटर की दूरी तक उस शक्ति का एक दिव्य तेज होता है, जो गहरा होता जाता है और नजदीकियां बढ़ती जाती हैं। मूर्ति को. यह दूरी के अनुसार घटती-बढ़ती रहती है। ऐसे में मूर्ति के पास परिक्रमा करने से दैवीय शक्ति की आभा से निकलने वाला तेज हमें आसानी से मिल जाता है।

परिक्रमा के नियम

–  शास्त्रों और पुराणों के अनुसार दैवीय शक्ति की आभा की गति दक्षिण की ओर होती है, इसलिए उनकी दिव्य रोशनी हमेशा दक्षिण की ओर चलती है। यही कारण है कि दाहिनी ओर से परिक्रमा करना सर्वोत्तम माना जाता है।

–  परिक्रमा करने पर दैवीय शक्ति के प्रकाश की गति और हमारे अंदर मौजूद दिव्य परमाणुओं के बीच टकराव होता है, जिससे हमारी चमक नष्ट हो जाती है। हम अपने इष्ट देवता की मूर्ति की परिक्रमा करके विभिन्न शक्तियों की प्रभा या तेज प्राप्त कर सकते हैं। उनका यह तेजदान विघ्नों, संकटों और विपत्तियों का नाश करने में सक्षम है।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Group Join Now
Google News Follow Me

–  परंपरा के अनुसार पूजा, अभिषेक या दर्शन के बाद परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए।

–  परिक्रमा शुरू करने के बाद बीच में नहीं रुकना चाहिए, साथ ही परिक्रमा वहीं से खत्म करनी चाहिए जहां से शुरू की हो.

–  परिक्रमा के दौरान मन में निंदा, बुराई, दुर्भावना, क्रोध, तनाव आदि विकार न आने दें।

–  अपने जूते-चप्पल उतारकर नंगे पैर परिक्रमा करें।

किस देवता की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए?

–  शास्त्रों के अनुसार अलग-अलग देवी-देवताओं के लिए परिक्रमा की अलग-अलग संख्या तय की गई है।

–  स्त्रियों द्वारा बरगद, पीपल और तुलसी की एक या अधिक परिक्रमा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

–  भगवान शिव की आधी परिक्रमा की जाती है. लेकिन ध्यान रखें कि भगवान शिव की परिक्रमा करते समय जलहरी का किनारा न लांघें।

–  देवी दुर्गा मां की एक परिक्रमा करते समय नवार्ण मंत्र का ध्यान जरूरी है।

–  गणेशजी और हनुमानजी की तीन परिक्रमा करने का विधान है।

–  श्री विष्णुजी और उनके सभी अवतारों की चार परिक्रमा करनी चाहिए।

–  सूर्य को अर्घ्य देकर “ॐ भास्कराय नमः” का जाप कई रोगों का नाश करने वाला होता है। सूर्य मंदिर की सात परिक्रमा करने से मन पवित्र और आनंद से भर जाता है।

गोवर्धन परिक्रमा

गोवर्धन पर्वत भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा में स्थित है। किंवदंतियों के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने बाल लीला में गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर ब्रजवासियों को भगवान इंद्र के प्रकोप से बचाया था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मथुरा स्थित गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से साधक को बल, बुद्धि, विद्या और धन की प्राप्ति होती है। यह पूरी परिक्रमा 23 किलोमीटर की है और इसे पूरा करने में 5 से 6 घंटे का समय लगता है।

यह भी पढ़े | राजस्थान: चमत्कारी शिवलिंग (Shivling) दिन में तीन बार रंग बदलता है, दर्शन करने से सब मनोकामनाएं पूरी होती है 

सबसे लंबी परिक्रमा ‘नर्मदा परिक्रमा’

नर्मदा परिक्रमा को अब तक की सबसे लंबी परिक्रमा कहा गया है। जिसका क्षेत्रफल 2,600 किमी है। यह यात्रा तीर्थनगरी अमरकंटक, ओंकारेश्वर और उज्जैन से प्रारंभ होकर यहीं समाप्त होती है। इस परिक्रमा में अनेक तीर्थ स्थलों के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है। खास बात यह है कि नर्मदा परिक्रमा 3 साल, 3 महीने और 13 दिन में पूरी होती है। लेकिन कुछ लोग इस कठिन परिक्रमा को 108 दिन में ही पूरी कर लेते हैं।

भगवान शिव की अर्ध परिक्रमा

शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान शिव की पूरी परिक्रमा नहीं की जाती है। जलाभिषेक के बाद जिस स्थान से जलधारा निकलती है उस स्थान को पार करना वर्जित है। इसीलिए भगवान शिव की आधी परिक्रमा का विधान है। ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और साधक को आशीर्वाद देते हैं।

यह भी पढ़ें | Shaktipeeth Mahamaya Temple | तुतलाकर बोलने वाले बच्चे यहां होते हैं ठीक, देखे ख़ास रिपोर्ट

हिंदू धर्म में मंदिर का क्या महत्व है?

मंदिर शब्द का अर्थ है मन से दूर एक ऐसा स्थान यानी पवित्र स्थान जहां मन और ध्यान अध्यात्म के अलावा किसी और चीज की ओर न जाए। मंदिर को आलय भी कहा जा सकता है, जैसे शिवालय, जिनालय आदि। जब हम मंदिर में जाते हैं तो हमारा मन भोग, विलास, काम, अर्थ, क्रोध आदि से दूर हो जाता है। यहां व्यक्ति को आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है और मन शांत रहता है। प्राचीन काल से ही मंदिरों का निर्माण वास्तु शास्त्र के अनुसार किया जाता रहा है। इसलिए यहां आने से व्यक्ति पर नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव नहीं पड़ता और मन सीधे भगवान से जुड़ जाता है। मंदिर में रहकर भगवान की पूजा और ध्यान करने से मन को आध्यात्मिक संतुष्टि भी मिलती है और भगवान की पूजा के लिए यह जरूरी भी माना जाता है। बता दें कि शास्त्रों में पूजा के बाद परिक्रमा के भी विशेष नियम बताए गए हैं। आइए जानते हैं क्यों लगाई जाती है देवता या मंदिर की परिक्रमा?

joinwhatsapp 300x73 1

और पढ़िए –धर्म आस्था से जुड़ी अन्य बड़ी ख़बरें यहां पढ़ें

Talkaaj

(देश और दुनिया की ताज़ा खबरें सबसे पहले पढ़ें Talkaaj (बात आज की) पर , आप हमें FacebookTelegramTwitterInstagramKoo और  Youtube पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

Posted by TalkAaj.com

TAGS :- Dharm Aastha:  why people do parikrama in temple reason know parikrama karne ka mahatva or fayde in hindi, know parikrama karne ka mahatva or fayde in hindi,govardhan parikrama,parikrama,govardhan parikrama in hindi,parikrama karne ka mahatva,narmada parikrama,parikrama karna in hindi,parikrama karne ke fayde,parikrama ka mahatva,kitni baar karni chahiye mandir me parikrama,ganesh ji ki kitni parikrama karni chahiye,shani dev ki kitni parikrama karni chahiye,hanuman ji ki kitni parikrama karni chahiye,braj 84 kos parikrama ka mahatva,narmada parikrama anubhav,narmada parikrama chitale,goverdhan ji parikrama

 

Join WhatsApp

Join Now

Leave a Comment