Shaktipeeth Mahamaya Temple | तुतलाकर बोलने वाले बच्चे यहां होते हैं ठीक, देखे ख़ास रिपोर्ट

by ppsingh
841 views
A+A-
Reset

Shaktipeeth Mahamaya Temple | तुतलाकर बोलने वाले बच्चे यहां होते हैं ठीक, देखे ख़ास रिपोर्ट

धार्मिक डेस्क :- वैसे तो आपने भारत देश में देवी-देवताओं के कई चमत्कारी मंदिर देखे होंगे। मंदिरों के चमत्कारों को लेकर कई कहानियां और कई बातें भी सामने आती हैं।

Shaktipeeth Mahamaya Temple :- वैसे तो आपने भारत देश में देवी-देवताओं के कई चमत्कारी मंदिर देखे होंगे। मंदिरों के चमत्कारों को लेकर कई कहानियां और कई बातें भी सामने आती हैं। आज हम आपको एक ऐसी मां के मंदिर के दर्शन कराएंगे, जिसके जात लगाने के बाद तुतलाकर बोलने वाले नन्हे मुन्नों की बोली ठीक हो जाती है.अरावली पर्वत श्रृंखला से घिरे महामाया माता के मंदिर से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। राजस्थान ही नहीं, राजस्थान के अलावा दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, पंजाब से भी लोग सिर झुकाने के लिए इस मंदिर में पहुंचते हैं।

जयपुर से 48 किमी दूर चौमू-अजीतगढ़ स्टेट हाईवे पर सामोद में अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ  महामाया मंदिर (Shaktipeeth Mahamaya Temple) श्रद्धा के साथ-साथ पर्यटन की दृष्टि से भी एक सुंदर स्थान है। जहां हर साल लाखों श्रद्धालु मां को जडूले चढ़ाने के लिए मंदिर में आते हैं। सामोद के बंडौल से मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को दो किमी रेतीले और दो किमी पहाड़ी पथरीले रास्ते को पार करना पड़ता है। शक्तिपीठ महामाया मन्दिर मे आस-पास ही नहीं अपितु दूर दराज से श्रद्धालु अपने छोटे बच्चों के जडूले करने के लिए आते हैं

यह भी पढिये | Hanuman Temple: एक अनोखा मंदिर जहां भगवान हनुमान जी की पूजा स्त्री रूप में होती है

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में सबसे बड़ा चमत्कार उन बच्चों के लिए देखा जाता है जो बचपन से ही तुतला कर बोलते हैं. या बोली नहीं आती। ऐसे बच्चों को यहां 7 बार यहां जात लगाई जाती है इसके साथ ही चांदी और तांबे की धातु की जीभ बनाकर इस मंदिर में चढ़ाने से बच्चों की वाणी सही हो जाती है. मंदिर के महंत मोहनदास का कहना है कि इस मंदिर की स्थापना करीब 700 साल पहले हुई थी।

तब संत द्वारका दास महाराज यहां तपस्या किया करते थे। संत की तपस्या के दौरान, इंद्रलोक से इंद्रदेव की 7 परियां तपस्या के स्थान के पास स्थित बावड़ी में स्नान करने आती थीं। नहाते समय इंद्र की 7 परियां खूब शोर-शराबा कर रही थीं। परियों की फुसफुसाहट और शोर से संत द्वारका दास की तपस्या बाधित हो गई। तपस्वी द्वारका दास ने कई बार परियों को शोर मचाने से मना किया, लेकिन इंद्र की परियों ने तपस्वी को परेशान करने के इरादे से शोर और हंगामा करना बंद नहीं किया। जिससे एक दिन द्वारका दास जी क्रोधित हो गए और उन्होंने परियों को सबक सिखाने का फैसला किया।

ये भी पढ़े:- भारत में इन 11 स्थानों में भगवान शिव (Lord Shiva) की सबसे ऊंची प्रतिमा मौजूद है।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Group Join Now
Google News Follow Me

इंद्र की परिया रोजाना की तरह नहाने के लिए अपने वस्त्र उतार कर बावड़ी में उतर गई और तेज तेज शोरगुल करने लगी. तब तपस्वी द्वारका दास महाराज बावड़ी के पास आए और परियों के कपड़े छिपा दिए। परियां जब स्नान करके ऊपर आई तो उन्हें अपने कपड़े नहीं मिले। जब परियों ने तपस्वी के साथ अपने कपड़े देखे तो वे उनके कपड़े मांगने लगे, लेकिन तपस्वी ने परियों को कपड़े वापस नहीं दिए और परियों को हमेशा के लिए उसमें रहने का श्राप दिया।

तपस्वी ने कहा कि आज से आप सब यहीं बस जाएं और लोगों की सेवा करें, सच्चे मन से यहां जो भी आए उसकी मनोकामनाएं पूरी करें। तभी से ये सात परियां यहां निवास करती हैं। जो भी यहां आस्था श्रद्धा के साथ मनोकामना लेकर आता है उसकी मनोकामना पूर्ण होती है

ये भी पढ़े:- असम में बने कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) का एक अनोखा इतिहास है, इन बातों को जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे

शक्तिपीठ महामाया मंदिर (Shaktipeeth Mahamaya Temple) तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को बंडौल से सामोद तक चार किलोमीटर का कच्चा रास्ता तय करना पड़ता है। जिसमें दो किमी रेतीली सड़क के कारण श्रद्धालुओं के वाहन रेत में फंस जाते हैं। वहीं दो किमी आगे उबड़-खाबड़ पहाड़ी रास्ता होने के कारण श्रद्धालुओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. पहाड़ी सड़क वन क्षेत्र में होने के कारण सड़क निर्माण कार्य वन विभाग के लिए रोड़ा बन जाता है। इस कारण यहां आज तक सड़क नहीं बन पाई है।

पहाड़ की सड़क संकरी होने से पहाड़ी सड़क के दूसरी तरफ बरसाती नाला गहरा होने से दुर्घटना की आशंका हमेशा बनी रहती है। यदि मंदिर तक पहुंचने के लिए पक्का रास्ता हो, साथ ही बरसाती नाले पर सुरक्षा दीवार हो, जिससे श्रद्धालुओं को सुविधा हो, साथ ही संभावित दुर्घटना से भी बचा जा सके।

Shaktipeeth Mahamaya Temple

Shaktipeeth Mahamaya Temple

मंदिर महंत मोहन दास बताते हैं कि तपस्वी द्वारका दास महाराज नवरात्रि, बैसाख और भाद्रपद महीनों में विशेष तपस्या करते थे। इसलिए इन दिनों (नवरात्रि, बैसाख, भाद्र पद) में यहां विशेष मेले का आयोजन किया जाता है। नवरात्रि के 9 दिनों तक महामाया मंदिर में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। दूसरी ओर, बैशाख और भाद्रपद के महीने में विशेष मेलों का आयोजन किया जाता है। पंद्रह दिनों तक चलने वाले बैसाखी और भाद्रपद मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस दौरान भक्त मां के दर्शन कर नया अनाज, वस्त्र, दूध, दही, पनवाड़ा आदि चढ़ाते हैं.

इस आर्टिकल को शेयर करें

लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए –
TalkAaj (बात आज की) के समाचार ग्रुप Whatsapp से जुड़े
TalkAaj (बात आज की) के समाचार ग्रुप Telegram से जुड़े
TalkAaj (बात आज की) के समाचार ग्रुप Instagram से जुड़े
TalkAaj (बात आज की) के समाचार ग्रुप Youtube से जुड़े
TalkAaj (बात आज की) के समाचार ग्रुप को Twitter पर फॉलो करें
TalkAaj (बात आज की) के समाचार ग्रुप Facebook से जुShaktipeeth Mahamaya Templ

(नोट: इस लेख की जानकारी सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित है। Talkaaj इनकी पुष्टि नहीं करते हैं।)

You may also like

Leave a Comment

www.talkaaj.com_ (2)

TalkAaj (Aaj Ki Baat)
Read Hindi news from the country and the world on TalkAaj.com, know every update on business, entertainment, government schemes, education, jobs, sports and politics. Read all Hindi …
Contact us: Talkaajnews@gmail.com

All Right Reserved. Designed and Developed by talkaaj.com

दुनिया की 7 सबसे महंगी कारें, जानकर हो जाएंगे हैरान जिम ट्रेनर ने प्रेमानंद महाराज से पूछा, “बच्चे देसी खाने से दूर क्यों हो रहे हैं?” यह जवाब मिला पैरों से रौंदा, गंदी बाल्टी में डाला और…, देखें कैसे बनता है सोया चाप, VIDEO Top 10 Mobile Brands in India 2024 Best Places To Visit In Singapore 2024