Rajasthan News: राजपरिवार की लड़ाई सड़क पर, पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
पूर्व कैबिनेट मंत्री और भरतपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वेंद्र सिंह की ज़िंदगी मुश्किल हो गई है। उन्हें न तो घूमने-फिरने की इजाज़त है और न ही किसी से मिलने की। वो अपने ही घर में कैद हो चुके हैं और उनके साथ कैदियों जैसा सुलूक किया जा रहा है। इस हालात के लिए विश्वेंद्र सिंह अपने परिवार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उन्होंने उपखंड अधिकारी ट्रिब्यूनल में प्रार्थना पत्र देकर अपनी पत्नी और बेटे पर आरोप लगाए हैं और न्याय की मांग की है।
विश्वेंद्र सिंह की कोर्ट में प्रार्थना
62 वर्षीय विश्वेंद्र सिंह ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल करते हुए कहा कि उनकी पत्नी और बेटा उनसे मारपीट करते हैं और उन्हें भरपेट भोजन भी नहीं दिया जाता। उन्हें लोगों से मिलने की इजाजत नहीं है और उन्हें उनके घर मोती महल छोड़ने पर मजबूर किया गया। अब उनका जीवन एक खानाबदोश जैसा हो गया है, कभी वो सरकारी आवास में तो कभी होटल में रहकर वक्त गुजार रहे हैं। भरतपुर आने पर उन्हें घर में घुसने नहीं दिया जाता।
विश्वेंद्र सिंह की मांगें
विश्वेंद्र सिंह ने बताया कि उनका परिवार के साथ 4 सालों से विवाद चल रहा है। उन्होंने वरिष्ठ नागरिक के तौर पर भरण पोषण की मांग की है और पत्नी दिव्या सिंह और बेटे अनिरुद्ध सिंह से हर महीने 5 लाख रुपए देने की भी मांग की है। इसके अलावा मोती महल, कोठी दरबार निवास, सूरज महल गोलबाग परिसर में मौजूद सभी भवन, देवालय आदि को खाली कराकर कब्जा दिलाने की गुहार लगाई है। साथ ही कुछ पुस्तैनी और पैलेसियल आइटम जैसे फर्नीचर, भवनों में मौजूद सजावट का सामान, बर्तन, कालीन, ट्रॉफी समेत बाकी सामान दिलाने की भी प्रार्थना की है। इसके अलावा 2 बंदूक भी पत्नी और बेटे के कब्जे में हैं, वो भी दिलाने की मांग की है।
बेटे अनिरुद्ध का आरोपों से इनकार
विश्वेंद्र सिंह के विवाद कोर्ट पहुंचने के बाद उनके बेटे अनिरुद्ध सिंह ने सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है। अनिरुद्ध का कहना है कि पिता ने जो आरोप लगाए हैं वो सरासर झूठ हैं। वह जरूरत पड़ने पर अपने पिता के खिलाफ वित्तीय धोखाधड़ी और संपत्ति को गलत तरीके से बेचने के सबूत भी कोर्ट में पेश करेंगे।
पत्नी दिव्या सिंह का पलटवार
विश्वेंद्र सिंह की पत्नी दिव्या सिंह ने भी अपने पति पर पलटवार किया है। दिव्या सिंह का कहना है कि उनको पिछले 30 सालों से परेशान किया जा रहा है और उनके साथ अत्याचार किया गया। वो अपने पति की हरकतों से अब तंग आ चुकी हैं। ऐसे में अगर कोई उनके साथ खड़ा है, तो वो उनका बेटा अनिरुद्ध है, जो उनके अधिकारों की रक्षा कर रहा है। दिव्या सिंह का कहना है कि हर बेटे को अपनी मां के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए। इतना ही नहीं, दिव्या सिंह ने कहा कि अगर मैंने मुंह खोला तो मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच जाएगा।
सोशल मीडिया बना फाइट का प्लेटफॉर्म
दिव्या सिंह और अनिरूद्ध की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद विश्वेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की जिसमें उन्होंने लिखा कि मोती महल, जो सम्पूर्ण भरतपुर जिले की ऐतिहासिक विरासत है, उसे बेचने के आरोप मेरी पत्नी और बेटे द्वारा लगाए जा रहे हैं, जो झूठे और निराधार हैं। इस ऐतिहासिक विरासत को बेचने की मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकता। मोती महल, जो राजपरिवार एवं भरतपुर जिले की पहचान है, उसकी एक इंच जमीन भी मैं अपनी आखिरी सांस तक बेचने नहीं दूंगा। वहीं विश्वेंद्र सिंह की पोस्ट के बाद उनके बेटे अनिरूद्ध ने भी पोस्ट कर उनको जवाब दिया। अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि बंद बरेठा का महल और भरतपुर रॉयल फैमिली की छतरी भी मेरे पिताजी द्वारा बेच दी गई हैं, यहां तक कि गोवर्धन का मंदिर भी।
संपत्ति और साख की लड़ाई
कभी राज परिवार से आम जनता प्रेरणा लेती थी और अपने जीवन में उसे अपनाने की कोशिश करती थी। त्याग और समर्पण की बड़ी-बड़ी बातें और कहानियां हमें राज परिवार से सीखने को मिलती थीं। लेकिन आज, भरतपुर के पूर्व राजपरिवार की लड़ाई कोर्ट तक जा पहुंची है। दोनों पक्षों के समर्थकों का मानना है कि यह विवाद संपत्ति को लेकर है, तो कोई इसे साख की लड़ाई बता रहा है।