Know What are The Demands of The Farmers? | किसानों का विरोध लगातार जारी, जानें क्या हैं किसानों की मांगें?
पंजाब के हजारों किसान लगातार तीसरे दिन भी हरियाणा की सीमाओं पर डटे हुए हैं और दिल्ली आने पर अड़े हुए हैं. शंभू बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन का आज तीसरा दिन है. मंगलवार को पूरे दिन पंजाब-हरियाणा की सीमा पर किसानों ने बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की. किसानों को रोकने के लिए सुरक्षा बलों ने पुख्ता तैयारी की है. रबर की गोलियां चलाने से लेकर आंसू गैस के गोले छोड़ने और यहां तक कि ड्रोन से भी हमला कर प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा जा रहा है. इस बीच किसान नेताओं ने केंद्र सरकार से बातचीत का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है. तीसरे दौर की बातचीत आज गुरुवार शाम 5 बजे चंडीगढ़ में होगी.
Aaj Ki Badi Khabar: 15 फरवरी सुबह की देश राज्यों से बड़ी खबरें | Big News Today In Hindi
इस बातचीत के दौरान केंद्र सरकार की ओर से कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय हिस्सा लेंगे. इससे पहले मंगलवार को कृषि मंत्री मुंडा और अन्य केंद्रीय मंत्रियों ने दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर बैठक की और किसानों के साथ सुलह के फॉर्मूले पर चर्चा की. यह भी समझ आया कि बातचीत को आगे कैसे बढ़ाया जाए? इसके बाद तय हुआ कि किसानों के साथ तीसरे दौर की बातचीत की जाएगी. किसानों को समझाने का प्रयास किया जाएगा। सरकार ने किसानों की 10 मांगें मान ली हैं. मामला तीन मांगों पर अटका हुआ है.
‘समाधान के बिना पीछे नहीं हटेंगे’
फिलहाल किसानों ने साफ कर दिया है कि वे समाधान के बिना पीछे नहीं हटेंगे. बैरिकेड्स तोड़कर दिल्ली की ओर कूच करेंगे. किसान इन बैरिकेड्स को तोड़ने और हटाने के लिए जरूरी संसाधन भी जुटा रहे हैं. शंभू बॉर्डर पर हजारों किसान राशन-पानी लेकर डटे हुए हैं. इस बीच, पंजाब किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव सरवन सिंह पंधेर का कहना है, हम पूरी तरह से सकारात्मक मूड में आज बैठक में शामिल होने जा रहे हैं और हमें विश्वास है कि इस बैठक से कोई सकारात्मक समाधान निकलेगा।
इससे पहले कृषि मंत्री मुंडा ने कहा था कि एमएसपी को जल्दबाजी में कानूनी नहीं बनाया जा सकता. बातचीत से मसला सुलझा लिया जाएगा.
‘पंजाब में आज ट्रेनें रोकेंगे किसान’
इधर, पंजाब के किसान आज तीसरे दिन भी राज्य में ट्रेनें रोकेंगे और विरोध प्रदर्शन करेंगे. यहां किसान टोल प्लाजा को भी फ्री कराएंगे. हालांकि, विरोध को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने बुधवार रात बड़ा फैसला लिया और 3 ट्रेनें रद्द कर दीं. 6 ट्रेनों को डायवर्ट किया गया है. सीबीएसई की 10वीं और 12वीं कक्षा की परीक्षाएं भी आज से शुरू हो रही हैं. ऐसे में बच्चों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने शुक्रवार को भारत बंद बुलाया है.
बातचीत का नतीजा क्या निकलेगा?
सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि बातचीत से ही मसला सुलझेगा. सरकार का यह भी कहना है कि 13 में से 10 मांगें मान ली गई हैं. तीन मांगों को मानने के लिए कुछ समय चाहिए. इन तीनों को लेकर सरकार के लिए दुविधा है. चूंकि हमें सभी राज्यों से बात करनी है. सरकार इन मांगों पर जरूर आगे बढ़ना चाहती है, लेकिन समय सीमा है, सरकार को यह समझने के लिए समय चाहिए कि मांगों को कैसे पूरा किया जाए. इन मुद्दों की कमान भी राजनाथ सिंह ने अपने हाथ में ले ली है. सिंह बीजेपी का बड़ा चेहरा हैं और गृह से लेकर कृषि मंत्री तक रह चुके हैं. उन्होंने बुधवार को अर्जुन मुंडा के साथ कुछ सुझाव भी साझा किये. तीसरे दौर की बैठक में इन सुझावों पर भी चर्चा हो सकती है. बातचीत में बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की जाएगी.
‘पिछली बार सरकार को रद्द करने पड़े थे कृषि कानून’
पिछली बार जब किसान धरने पर बैठे थे तो करीब 13 दौर की बातचीत हुई थी. लेकिन बात नहीं बनी. आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगे आए और तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने का ऐलान किया. पीएम ने कहा था कि हम किसानों के कल्याण के लिए ये कानून लाए हैं. शायद हमारे समझाने में कोई गलती हो गयी.
‘दो दौर की बातचीत में कुछ नहीं हो सका’
पहले दो दौर की बातचीत में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) गारंटी कानून और कर्ज माफी पर कोई सहमति नहीं बन पाई. किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने आरोप लगाया था कि इस मुद्दे को सुलझाने के लिए सरकार की मंशा ठीक नहीं है. सरकार ने कोई टाइमलाइन भी नहीं दी है. दरअसल, किसान मुख्य रूप से एमएसपी पर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं. वहीं केंद्र सरकार कह रही है कि इस मुद्दे पर एक कमेटी बनाई जाएगी और इस कमेटी में किसान भी होंगे. समय तो लगेगा।
क्या हैं किसानों की मांगें?
1. सभी फसलों की खरीद के लिए एमएसपी गारंटी कानून बनाया जाए।
2. फसलों के दाम डॉ. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार तय किये जायें। एमएसपी सभी फसलों की औसत उत्पादन लागत से पचास प्रतिशत अधिक थी।
3. किसानों और खेतिहर मजदूरों का कर्ज माफ किया जाए. प्रदूषण कानून से किसानों को बाहर रखा जाए.
4. 60 साल से अधिक उम्र के किसानों को 10,000 रुपये पेंशन दी जाए.
5. भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को पुनः लागू किया जाये।
6.लखीमपुर खीरी घटना के दोषियों को सजा दी जाए. आरोपियों की जमानत रद्द की जाए.
7. मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगायी जाये।
8. बिजली संशोधन बिल 2020 को रद्द किया जाए.
9. मनरेगा के तहत हर साल 200 दिन का काम और 700 रुपये मजदूरी दी जाए.
10. किसान आंदोलन में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा और सरकारी नौकरी दी जाए। समझौते के मुताबिक घायलों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाना चाहिए. दिल्ली मोर्चा समेत देशभर में हुए सभी आंदोलनों के दौरान दर्ज सभी मुकदमे रद्द किए जाएं।
11. नकली बीज, कीटनाशक और उर्वरक बेचने वाली कंपनियों के खिलाफ सख्त कानून बनाया जाना चाहिए। सरकार को फसल बीमा स्वयं करना चाहिए.
12. मिर्च, हल्दी एवं अन्य मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाए।
13. संविधान की 5वीं अनुसूची लागू कर आदिवासियों की जमीन की लूट रोकी जाये.
किसानों का यह भी कहना है कि कार्टन का एफआरपी और एसएपी स्वामीनाथन आयोग के फॉर्मूले के अनुसार दिया जाना चाहिए, ताकि यह हल्दी सहित सभी मसालों की खरीद के लिए एक राष्ट्रीय प्राधिकरण बन जाए। इसके अलावा दिल्ली में किसान मोर्चा के शहीदी स्मारक के लिए जगह दी जाए.
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