राजस्थान में 2 से ज्यादा बच्चे? अब नहीं मिलेगा प्रमोशन – HC का सख्त फैसला!

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राजस्थान में 2 से ज्यादा बच्चे? अब नहीं मिलेगा प्रमोशन – HC का सख्त फैसला!

राजस्थान में ‘Two Child Policy’ पर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अगर किसी के दो से ज्यादा बच्चे हैं, तो सरकारी नौकरी देने से इनकार करना भेदभावपूर्ण नहीं माना जाएगा। कोर्ट का मानना था कि यह नियम उन उम्मीदवारों को सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य घोषित करता है जिनके दो से अधिक जीवित बच्चे हैं। इसका मकसद परिवार नियोजन को बढ़ावा देना है।

अब राजस्थान हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में, जिन सरकारी कर्मचारियों के दो से ज्यादा बच्चे हैं, उनके प्रमोशन पर रोक लगा दी है। दरअसल, 2023 में कांग्रेस सरकार ने ऐसे कर्मचारियों के प्रमोशन पर लगी रोक को हटा दिया था और उन्हें बैक डेट से प्रमोशन देना शुरू कर दिया था। इस फैसले का असर राज्य के हजारों कर्मचारियों पर पड़ने वाला है।

राजस्थान हाई कोर्ट के जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ ने इस आदेश को जारी किया है। संतोष कुमार और अन्य लोगों द्वारा दायर याचिकाओं में कहा गया कि सरकार ने 16 मार्च 2023 की अधिसूचना के जरिए उन कर्मचारियों को बैक डेट से प्रमोशन दे दिया, जिनके दो से ज्यादा बच्चे होने के कारण उनके प्रमोशन को 5 या 3 साल तक रोक दिया गया था।

याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि बैक डेट से प्रमोशन देने के चलते उनकी वरिष्ठता सूची में बदलाव हो गया है और वे सूची में नीचे चले गए हैं, जिससे उनकी आगे की पदोन्नति प्रभावित हो रही है। हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद राज्य सरकार की अधिसूचना पर अंतरिम रोक लगा दी है।

याचिकाकर्ताओं के वकील ने अदालत में तर्क दिया कि 2001 में राज्य सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके अनुसार, 1 जून 2002 के बाद तीसरा बच्चा होने पर सरकारी कर्मचारियों को 5 साल के लिए प्रमोशन से वंचित करने का नियम लागू किया गया था। 2017 में सरकार ने इसे घटाकर 3 साल कर दिया था।

इसके बाद, 16 मार्च 2023 को कार्मिक विभाग ने एक अधिसूचना जारी की, जिसमें कहा गया कि जिन कर्मचारियों की पदोन्नति दंडस्वरूप रोकी गई थी, उन्हें उनकी पदोन्नति वर्ष से ही प्रमोशन का लाभ दिया जाए। इस तरह, राज्य सरकार के करीब 125 विभागों में रिव्यू डीपीसी के माध्यम से कर्मचारियों को प्रमोशन का लाभ दिया जाने लगा।

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याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि राज्य सरकार ने सूचना जारी कर दो से अधिक बच्चों वाले कर्मचारियों को प्रमोशन से वंचित कर दिया था। अब उन्हीं कर्मचारियों को फिर से प्रमोशन देना कानूनन सही नहीं है। इस मामले को बारां और झालावाड़ के पुलिसकर्मियों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

राजस्थान सरकार की ‘टू चाइल्ड पॉलिसी’ को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर किसी के दो से ज्यादा बच्चे हैं तो सरकारी नौकरी से वंचित करना भेदभावपूर्ण नहीं माना जाएगा। इस नियम का मकसद परिवार नियोजन को बढ़ावा देना है।

महाराष्ट्र में भी टू चाइल्ड पॉलिसी से जुड़े कई नियम लागू हैं। 2001 के सरकारी रिजॉल्यूशन में कहा गया है कि अगर किसी कर्मचारी के दो से ज्यादा बच्चे हैं और सेवा के दौरान उसकी मौत हो जाती है, तो परिवार के किसी भी सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जाएगी। 2005 से लागू सिविल रूल्स में यह प्रावधान है कि दो से ज्यादा बच्चे होने पर सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य माना जाएगा।

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चुनावी लड़ाई पर भी रोक:

अगर किसी कर्मचारी का तीसरा बच्चा होता है तो उसे सरकारी नौकरी से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। ये नियम A, B, C, और D ग्रुप के कर्मचारियों पर लागू होते हैं। इसी तरह, महाराष्ट्र में दो से ज्यादा बच्चे होने पर स्थानीय चुनाव लड़ने से भी रोका जाता है। ऐसे लोग पंचायत और जिला परिषद का चुनाव नहीं लड़ सकते।

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