क्या है AI, जिसका इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है, जानिए इसके फायदे और नुकसान
टेक डेस्क। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) की चर्चा लंबे समय से हो रही है। आपने इस तकनीक के बारे में भी सुना होगा। जाहिर है आपके मन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि आखिर यह तकनीक क्या है और कैसे काम करती है। तो इसका जवाब आपको नीचे मिलेगा।
पिछले कई सालों से Artificial intelligence की चर्चा हो रही है। दुनिया में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है। यह तकनीक फोन या कंप्यूटर में उपलब्ध शतरंद जैसे गेम, Google और एलेक्सा वॉयस असिस्टेंट सहित रोबोट जैसे उपकरणों के रूप में मौजूद है। हालांकि इस तकनीक पर अभी काम चल रहा है। आज हम आपको यहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) के बारे में बताएंगे कि यह सिस्टम क्या है, यह कैसे काम करता है और इसके फायदे और नुकसान क्या हैं। आइए जानते हैं…
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) क्या है
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) दुनिया की बेहतरीन तकनीकों में से एक है। यह दो शब्दों आर्टिफिशियल और इंटेलिजेंस से मिलकर बना है। इसका अर्थ है “मानव निर्मित सोच शक्ति। इस तकनीक की मदद से ऐसी प्रणाली बनाई जा सकती है, जो मानव बुद्धि यानि बुद्धि के बराबर होगी। इस तकनीक के माध्यम से सीखने, मान्यता, समस्या-समाधान, भाषा के लिए एल्गोरिदम का उपयोग किया जा सकता है। तार्किक तर्क, डिजिटल डेटा प्रोसेसिंग, जैव सूचना विज्ञान और मशीन जीव विज्ञान को आसानी से समझा जा सकता है, इसके अलावा यह तकनीक अपने आप सोचने, समझने और कार्य करने में सक्षम है।
यह भी पढ़िए | हैकर्स (Hackers) नहीं चुरा पाएंगे आपकी निजी जानकारी, इन 4 बातों का ध्यान रखें
Artificial intelligence का जन्म 1955 में हुआ था
1955 में, जॉन मैकार्थी ने आधिकारिक तौर पर इस तकनीक को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) का नाम दिया। आपको बता दें कि जॉन मैकार्थी एक अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक थे। उन्होंने मशीनों को स्मार्ट बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को परिभाषित किया।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चार प्रकार की होती है
Reactive Machines :– यह सबसे पुराने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) सिस्टम का रूप है। ये मशीनें पुराने डेटा को स्टोर करने में सक्षम नहीं हैं और निर्णय लेने के लिए पिछले अनुभवों का भी उपयोग नहीं करती हैं। यह सीमित डेटा संग्रहीत करके प्रतिक्रिया करता है। उदाहरण के लिए, 1997 में, IBM ने एक शतरंज खेलने वाला सुपरकंप्यूटर “Deep Blue” बनाया, जिसके साथ प्रसिद्ध शतरंज खिलाड़ी Garry kasparov को हराया गया था। इस सुपर कंप्यूटर में मेमोरी स्टोर करने की सुविधा नहीं दी गई थी। डीप ब्लू ने प्रतिद्वंद्वी की मौजूदा चाल के आधार पर खेल खेला।
Limited Memory :– इस फॉर्म की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) अतीत के डेटा को स्टोर करती है और पुराने डेटा का उपयोग करके भविष्य की गतिविधियों के बारे में बताती है। दिलचस्प बात यह है कि यह प्रणाली अपने आप सीखने और निर्णय लेने में सक्षम है।
Theory of Mind :- इस प्रकार की कृत्रिम बुद्धि मशीनों द्वारा मानव मस्तिष्क की सीमा तक पहुँच चुकी है। वर्तमान में कई मशीनें वॉयस असिस्टेंट के रूप में काम कर रही हैं। फिलहाल इस तरह का काम चल रहा है।
Self-conscious :- इस प्रकार के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) पर काम चल रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस प्रणाली के आने से रोबोट यह जान सकेंगे कि इंसानों की तरह उनका अस्तित्व क्या है। इसके बाद इंसान और मशीन में कोई अंतर नहीं रह जाएगा।
यह भी पढ़िए | Mass Communication Course kya hai | मास कम्युनिकेशन कोर्स क्या है | What is mass communication course
Artificial intelligence कैसे काम करता है
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) मशीन लर्निंग का एक हिस्सा है। यह तकनीक हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में समर्थित है, जिससे एल्गोरिथम को आसानी से समझा जा सकता है। एआई किसी प्रोग्रामिंग भाषा का पर्याय नहीं है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तीन स्किल्स पर काम करता है
1. लर्निंग प्रोसेस :- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) डेटा प्राप्त करने और उसे योग्य जानकारी में बदलने के लिए नियम बनाने पर केंद्रित है। इन्हें एल्गोरिदम कहा जाता है। ये एल्गोरिदम कंप्यूटर सिस्टम को कार्य पूरा करने में मदद करते हैं।
2. रीजनिंग प्रोसेस:- इस स्किल के तहत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) वांछित परिणाम तक पहुंचने के लिए सही एल्गोरिथम का चयन करता है।
3. सेल्फ-करेक्शन प्रोसेस:- इस स्किल के जरिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) अपने आप एल्गोरिथम को सही कर देता है, जिससे यूजर्स को सटीक रिजल्ट मिल सके।
यह भी पढ़िए:- News Portal kaise Shuru kare | How To Start News Portal | ऐसे शुरू करें लाखों रुपये कमाने वाला न्यूज पोर्टल
Artificial intelligence से होने वाले फायदे
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) तकनीक से देश के मेडिकल सेक्टर को सबसे ज्यादा फायदा होने वाला है। इस तकनीक से एक्स-रे रीडिंग जैसे सारे काम आसान हो जाएंगे। शोध में डॉक्टरों की मदद की जाएगी। इतना ही नहीं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से मरीजों का बेहतर इलाज किया जा सकता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) की मदद से खेल के क्षेत्र को भी काफी फायदा होगा। इस तकनीक के जरिए खिलाड़ी अपने प्रदर्शन पर नजर रख सकेंगे। इसके अलावा लोगों को तकनीक से खेल को आसानी से समझने की सुविधा मिलेगी।
स्कूलों और कॉलेजों से लेकर कृषि के क्षेत्र से जुड़े लोगों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से काफी फायदा होगा।
Artificial intelligence से होने वाले नुकसान
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) के आने से बेरोजगारी सबसे ज्यादा बढ़ेगी, क्योंकि आने वाले समय में इंसानों की जगह काम करने के लिए मशीनें बनाई जाएंगी।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) के आने से मानव जाति का अंत हो सकता है, क्योंकि रोबोट इस तकनीक के जरिए खुद को विकसित कर सकते हैं और खुद को खतरनाक हथियार बना सकते हैं। हालाँकि, इस चरण के आने में अभी लंबा समय है।
यह भी पढ़िए:- इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्या है? | What Is Electronic Media
लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए –
TalkAaj (बात आज की) के समाचार ग्रुप Whatsapp से जुड़े
TalkAaj (बात आज की) के समाचार ग्रुप Telegram से जुड़े
TalkAaj (बात आज की) के समाचार ग्रुप Instagram से जुड़े
TalkAaj (बात आज की) के समाचार ग्रुप Youtube से जुड़े
TalkAaj (बात आज की) के समाचार ग्रुप को Twitter पर फॉलो करें
TalkAaj (बात आज की) के समाचार ग्रुप Facebook से जुड़े
TalkAaj (बात आज की) के Application Download करे